Antarvasna, hindi sex story: निखिल को मैंने घर बुला लिया था निखिल की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए मैंने उसे घर आने के लिए कहा वह उस दिन घर आ गया था। मेरा छोटा भाई जो की पुणे में नौकरी करता था उसकी तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए मैंने उसे कहा कि तुम घर आ जाओ और फिर वह दिल्ली लौट आया था। जब वह दिल्ली लौटा तो उसकी तबीयत काफी ज्यादा खराब थी इसलिए हमे उसे हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ा। कुछ दिनों तक वह हॉस्पिटल में डॉक्टरों की देख रेख में रहा उसके बाद हम लोग उसे घर ले आए थे। जब वह घर आया तो उसके बाद मुझे इस बात की खुशी थी कि वह अब ठीक हो चुका है काफी दिनो तक उसकी तबीयत खराब रहने के बाद वह अब ठीक था। मैंने निखिल से कहा कि तुम दिल्ली में रहकर ही काम करो तो निखिल भी मेरी बात मान गया। पापा के देहांत के बाद घर की जिम्मेदारी मेरे ऊपर ही थी और मैं घर की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा पा रहा हूं।
मैं चाहता था निखिल हमारे साथ ही रहे निखिल ने भी मेरी बात मान ली और वह हम लोगों के साथ दिल्ली में ही रहने लगा। कुछ समय तक तो निखिल ने नौकरी नहीं की लेकिन जब निखिल की नौकरी लग गई तो वह भी काफी खुश था और हम लोग भी इस बात से बहुत ज्यादा खुश थे कि निखिल अब दिल्ली में रहकर ही नौकरी कर रहा है। मां भी हमेशा ही मुझे कहती की बेटा तुम शादी कर लो लेकिन मैं शादी के लिए तैयार नहीं था। एक दिन मां ने मुझसे कहा कि शुभम बेटा मैं चाहती हूं कि तुम अब शादी कर लो। मैंने मां से कहा मां मैं अभी शादी के लिए तैयार नहीं हूं। मां ने मुझे कहा मैं चाहती हूं तुम अब शादी कर लो। मैं भी मां की बात मान गया और मैंने पहली बार सुजाता से मुलाकात कि तो मुझे सुजाता काफी अच्छी लगी। उसे मुझे समझने में काफी समय लगा क्योंकि हम दोनों की ना तो फोन पर बातें होती थी और ना ही हम दोनों एक दूसरे को मिल पाते थे।
सुजाता बहुत ही शर्मीले किस्म की है लेकिन जब हम दोनों की सगाई हो गई तो उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को मिलने लगे थे। हम दोनों जब एक दूसरे को मिलने लगे तो मुझे भी काफी अच्छा लगने लगा और मैं सुजाता के साथ बहुत खुश हूं। हमारी शादी का दिन तय हो चुका था जब हम दोनों की शादी हुई तो उसके बाद हम दोनों की शादीशुदा जिंदगी बड़े ही अच्छे से चलने लगी। सुजाता घर की देखभाल अच्छे से करती और घर में सब कुछ अच्छे से चल रहा था। मैं भी इस बात से बहुत ज्यादा खुश था कि घर में सब कुछ ठीक से चल रहा है। एक दिन जब मैं अपने ऑफिस से घर लौटा तो उस दिन निखिल से मैंने पूछा निखिल तुम ऑफिस से कब आए। निखिल ने कहा भैया मैं तो दोपहर मे ही आ गया था। मैंने निखिल से कहा सब कुछ ठीक तो है ना। निखिल ने मुझे कहा हां भैया सब कुछ ठीक है मुझे आज कुछ ठीक नहीं लग रहा था मैंने सोचा कि आज दोपहर में ही घर चला जाऊं इसलिए मैं घर चला आया। निखिल ने उस दिन मुझसे आयुषी का जिक्र किया।
आयुषी जो निखिल के ऑफिस में काम करती है उसने मुझे बताया वह आयुषी से बहुत प्यार करता है लेकिन उन दोनों मे किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया था। निखिल ने पहली बार मुझसे इतनी खुलकर बातें की थी लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि निखिल अब मुझसे हर एक बात शेयर करने लगा था। मैंने निखिल को कहा कोई बात नहीं सब ठीक हो जाएगा। उस दिन निखिल का मूड ठीक नहीं था और मैंने भी सोचा क्यों ना आज हम सब लोग बाहर ही डिनर करने के लिए जाए। मैंने सुजाता से कहा आज हम लोग डिनर करने के लिए चलते हैं। सुजाता भी मान गई और हम लोग बाहर डिनर करने के लिए चले गए जब हम लोग बाहर गए तो हम लोगों को काफी अच्छा लगा और हम लोग बहुत ज्यादा खुश थे। मुझे अपने परिवार के साथ समय बिताना बहुत ही अच्छा लगा और अगले दिन भी मेरी छुट्टी थी। मैं घर पर ही था उस दिन भी मैंने सुजाता के साथ काफी अच्छा समय बिताया और सुजाता भी बहुत खुश थी।
सुजाता और मैं एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और सुजाता मुझे बहुत ही अच्छे से समझती है। मुझे इस बात की बड़ी खुशी है कि सुजाता और मेरे बीच बहुत ज्यादा प्यार है। जिस तरीके से वह मुझे समझती है वह मेरे लिए बहुत ही अच्छा है क्योंकि हम दोनों के बीच में कभी भी किसी बात को लेकर कोई झगड़े नहीं होते हैं। मेरे और सुजाता के बीच सब कुछ अच्छे से चल रहा है और मैं बहुत ही ज्यादा खुश हूं। मुझे अपने काम के लिए बेंगलुरु जाना था तो उस दिन मैं अपने ऑफिस से घर लौटा और मैंने सुजाता को इस बारे में बताया कि मैं कुछ दिनों के लिए बेंगलुरु जा रहा हूं। सुजाता ने मुझे कहा आप वहां से वापस कब लौटेंगे? मैंने सुजाता से कहा मैं वहां से एक हफ्ते में वापस लौट आऊंगा। सुजाता ने मेरा सामान पैक करने में मेरी मदद की। हम दोनों जब एक दूसरे से बातें कर रहे थे तो मां कमरे मे आई और बोली बेटा तुम खाना खा लो। अब हम लोगों ने खाना खाया और फिर उसके बाद मैं और सुजाता रूम में आ गए।
सुजाता भी मुझसे बात करने लगी और कहने लगी आप क्या अपनी किसी जरूरी काम से जा रहे है। मैंने सुजाता को बताया हां ऑफिस का कोई जरूरी काम है इसलिए मुझे कुछ दिनों के लिए बेंगलुरु जाना पड़ेगा। सुजाता मुझे कहने लगी काफी दिन हो गए हैं मैं पापा मम्मी से भी नहीं मिली हूं सोच रही हूं उन लोगों से मिल लूं। मैंने सुजाता से कहा ठीक है तुम पापा मम्मी से मिल लो। सुजाता उसके अगले दिन पापा मम्मी को मिलने के लिए जाने वाली थी क्योंकि मुझे भी बेंगलुरु जाना था इसलिए मैंने सुजाता से कहा तुम पापा मम्मी से मिल आओ। सुजाता ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मैंने भी सुजाता का हाथ पकड़ लिया था। जब हम दोनों एक दूसरे की तरफ देख रहे थे तो मुझे सुजाता की आंखों में अपने लिए प्यार नजर आ रहा था। मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया था।
जब मैंने सुजाता को अपनी बाहों में भर लिया था तो वह मेरे लिए तड़प रही थी और मैं भी बहुत ज्यादा तडप रहा था। हम दोनों की तडप इतनी अधिक बढने लगी थी मैंने जैसे ही उसके होठों से अपने होठों को टकराना शुरू किया तो उसकी गर्मी बढ़ती ही जा रही थी और वह गर्म हो गई थी। मैं भी बहुत ज्यादा गर्म हो चुका था मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया था। जब मैंने अपने मोटे लंड को बाहर निकाला तो वह मेरे मोटे लंड को देखते हुए कहने लगी आपका लंड बहुत मोटा है। मैंने सुजाता से कहा तुम इसे अपने मुंह मे ले लो। उसने अपने हाथों में मेरे लंड को लिया और वह उसे हिलाने लगी। अब उसकी गर्मी बढ़ने लगी थी और मुझे भी मजा आने लगा था। वह बड़े अच्छे तरीके से मेरे लंड को हिलाने लगी थी और जिस तरह से वह मेरे मोटे लंड को हिला रही थी उस से मेरी गर्मी बढ़ती ही जा रही थी और सुजाता भी गरम हो चुकी थी। वह बहुत ज्यादा गर्म हो गई थी मेरे लंड से पानी निकलने लगा था और मैंने सुजाता की चूत पर अपने लंड को टच किया तो उसकी चूत से पानी निकलने लगा था।
सुजाता की चूत गीली हो चुकी थी। मैंने जब सुजाता की योनि के अंदर अपने लंड को घुसाना शुरू किया तो वह गर्म होने लगी और मुझे मजा आने लगा था। वह गरम हो रही थी उससे मेरी गर्मी बहुत ज्यादा बढती जा रही थी। वह पूरी तरीके से गर्म हो चुकी थी मैंने उसे कहा मेरी गर्मी को तुमने बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है और उसकी सिसकारियां बढने लगी थी। उसने अपने पैरों को चौड़ा कर लिया था मेरा लंड बड़ी आसानी से उसकी योनि के अंदर जा रहा था जिससे उसकी गर्मी बढ़ रही थी और मेरे अंदर की आग भी बढ़ती जा रही थी। मेरे धक्कों में तेजी आ रही थी और वह बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी इसलिए मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था। मैं उसे तेजी से धक्के दिए जा रहा था।
मेरी गर्मी और भी ज्यादा बढ रही थी और मेरी गर्मी अब इतनी बढ़ चुकी थी मेरा वीर्य बाहर आने को था। उसने मुझे अपने पैरों के बीच में जकडना शुरू कर दिया था जब उसने ऐसा करना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा और उसे भी बहुत ज्यादा मजा आ रहा था जिस तरीके से वह मेरा साथ दे रही थी। जब मैंने उसकी चूत के अंदर अपने वीर्य को गिराया तो उसकी चूत की गर्मी शांत हो चुकी थी और मुझे भी काफी खुशी थी। अगले दिन मैं अपनी फ्लाइट से बेंगलुरु चला गया कुछ दिनों तक मैं बेंगलुरु में रहा फिर मैं बेंगलुरु से वापस लौट आया था। सुजाता और मेरी जिंदगी बहुत ही अच्छे चल रही है और वह मेरे साथ बहुत खुश है जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे के साथ अपने जीवन बीता रहे हैं उससे मुझे बहुत ज्यादा खुशी है और सुजाता भी बहुत खुश हूं।