Antarvasna, hindi sex story: मैं कुछ दिनों के लिए मुंबई जाने वाला था मुंबई मुझे अपने ऑफिस के काम से जाना था। उस शाम मुझे सुहानी का फोन आया और सुहानी मुझे कहने लगी कि आकाश तुम अभी कहां हो तो मैंने सुहानी से कहा कि मैं तो घर पर ही हूं। सुहानी मुझे कहने लगी कि मुझे तुमसे मिलना था मैंने सुहानी को कहा कि अभी तो हम लोगों का मिलना संभव नहीं हो पाएगा क्योंकि कल मुझे मुंबई जाना है और अभी मैं सामान पैक कर रहा हूं। सुहानी मुझे कहने लगी कि चलो कोई बात नहीं जब तुम मुंबई से आओगे तो मुझसे मिल लेना। मैंने सुहानी से कहा कि ठीक है जब मैं मुम्बई से आऊंगा तो तुमसे मुलाकात कर लूंगा।
अगले दिन सुबह मैं अपनी फ्लाइट से मुंबई चला गया मुंबई में मुझे कुछ दिन रुकना था और उसके बाद मैं वहां से वापस लौट आया। जब मैं वापस लौटा तो मैंने सुहानी को फोन किया मुझे सुहानी से मिलना था। सुहानी ने मेरा फोन उठा लिया था और वह मुझे कहने लगी कि मुझे तुमसे कुछ जरुरी काम था। मैंने सुहानी को कहा कि हां कहो तुम्हें क्या काम था तो सुहानी कहने लगी कि मुझे तुमसे मिलना है मैंने उसे कहा कि ठीक है मैं तुमसे आज शाम को मिलता हूं। मैं सुबह के वक्त घर पर पहुंच चुका था लेकिन मुझे काफी थकान सी महसूस हो रही थी इसलिए मैं सो चुका था और जब मैं उठा तो मैं सुहानी से मिलने के लिए चला गया। सुहानी मेरे साथ कॉलेज में पढ़ा करती थी और हम दोनों काफी अच्छे दोस्त हैं। अक्सर हम दोनों एक दूसरे से अपनी बातों को शेयर किया करते हैं लेकिन कुछ समय से सुहानी और मैं एक दूसरे से मिल नहीं पाए थे।
मैं जब उस दिन सुहानी को मिला तो सुहानी ने मुझे बताया कि उसकी सगाई टूट चुकी है। मैंने उसे कहा कि आखिर तुम्हारी सगाई टूटने का क्या कारण है तो वह मुझे कहने लगी कि जिस लड़के से पापा और मम्मी ने मेरी सगाई करवाई थी वह लोग दहेज के लिए पापा मम्मी को बहुत परेशान कर रहे थे तो मैंने उन्हें कहा कि मुझे वहां शादी नहीं करनी है और फिर मैंने शादी के लिए मना कर दिया था। मैंने सुहानी को कहा कि यह तो तुमने अच्छा किया लेकिन सुहानी बहुत ज्यादा परेशान नजर आ रही थी। मैंने सुहानी से कहा कि तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है। सुहानी के साथ उस दिन जब मैं बैठा हुआ था तो उसे भी अच्छा लगा और वह मुझसे बातें कर रही थी। हम लोगों ने काफी देर तक एक दूसरे से बातें की और फिर मैं घर वापस चला आया था।
अगले दिन मैं सुहानी को मिला मेरी और सुहानी की मुलाकात हो ही जाया करती थी। जब भी मैं सुहानी से मिलता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता और सुहानी को भी मुझसे मिलकर अच्छा लगता है। एक दिन सुहानी और मैं साथ में बैठे हुए थे उस दिन जब हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो सुहानी ने मुझसे कहा कि चलो आज मैं तुम्हे पापा मम्मी से मिलवाती हूँ। मैंने सुहानी से कहा कि नहीं मैं कभी और आऊंगा। सुहानी ने मुझे कहा कि मम्मी तुम्हें काफी दिन से याद कर रही है और कह रही थी कि आकाश काफी दिनों से घर पर नहीं आया है। मैंने सुहानी को कहा कि ठीक है मैं तुम्हारे साथ चलता हूं और फिर मैं सुहानी के पापा मम्मी को मिलने के लिए चला गया। मैं वहां पर कुछ देर तक रुका फिर मैं वापस लौट आया था सुहानी ने भी अब नौकरी करने का फैसला कर लिया था और वह जॉब करने लगी थी।
जब सुहानी जॉब करने लगी तो मैंने सुहानी को कहा कि तुमने बहुत ही अच्छा फैसला लिया है कि तुम जॉब करने लगी हो। सुहानी जॉब करने लगी थी और मैं भी इस बात से बड़ा खुश था। हम दोनों एक दूसरे को मिल ही जाया करते थे और जब भी हम लोग एक दूसरे को मिलते तो हमें काफी अच्छा लगता। सुहानी और मेरी दोस्ती कॉलेज के समय से ही है और हम दोनों एक दूसरे को बड़े ही अच्छे तरीके से समझते हैं। एक दिन मैं अपने ऑफिस से घर लौट रहा था तो सुहानी ने मुझे फोन किया और वह कहने लगी कि क्या तुम घर पहुंच चुके हो। मैंने सुहानी को कहा कि नहीं मैं अभी घर नहीं पहुंचा हूं बस थोड़ी देर बाद ही मैं घर पहुंच जाऊंगा। सुहानी कहने लगी कि बस ऐसे ही तुमसे बात करने का मन था मैंने सुहानी से कहा कि मैं आज तो तुम्हें मिल नहीं पाऊंगा वह कहने लगी कि कोई बात नहीं। सुहानी भी अब अपने ऑफिस के काम में बिजी रहने लगी थी इसलिए उसके पास भी कम ही समय हो पाता था।
मैं सुहानी को कम ही मिल पाता था लेकिन जब भी हम दोनों मिलते है तो हमें बहुत ही अच्छा लगता है और हम दोनों एक दूसरे से मिलकर बहुत ही ज्यादा खुश रहते हैं। मैं सुहानी के साथ जब भी होता हूं तो मुझे अच्छा लगता है। अब सुहानी के परिवार वाले भी उसके लिए लड़का देखने लगे थे और सुहानी की जल्द ही सगाई होने वाली थी। जब सुहानी की सगाई हो गई तो मैंने सुहानी से उस दिन कहा की अब तो तुम खुश हो। वह मुझे कहने लगी कि हां मैं खुश हूं। सुहानी और मैं सुहानी की सगाई के अगले दिन मिले जब हम लोग एक दूसरे से मिले तो सुहानी ने मुझे कहा कि मैं बहुत ही ज्यादा खुश हूं। सुहानी के होने वाले पति जो कि विदेश में ही रहते हैं और वह एक अच्छी जॉब करते हैं तो सुहानी इस बात से बड़ी खुश है। सुहानी और मेरी बात उस दिन काफी देर तक हुई मैंने सुहानी से कहा कि अब मैं घर चलता हूं। सुहानी को मैंने उस दिन उसके घर छोड़ा और फिर मैं अपने घर लौट आया था। मैं जब अपने घर लौटा तो उस दिन मुझे रात को नींद ही नहीं आ रही थी इसलिए मैं छत पर टहलने के लिए चला गया।
कुछ देर तक मैं छत पर टहल रहा था फिर मैं सोने की कोशिश कर रहा था लेकिन मुझे नींद ही नही आ रही थी। रात के करीब 2:00 बजे के आसपास मुझे नींद आई और फिर मैं सो चुका था। एक दिन सुहानी और मैं साथ में थे। उस दिन बारिश बहुत ज्यादा थी इसलिए हम दोनों भीग चुके थे। मैं सुहानी के बदन को देख रहा था इससे पहले कभी भी मैंने सुहानी को इस तरीके से नहीं देखा था। सुहानी के घर पर उस दिन कोई भी नहीं था इसलिए हम दोनों सुहानी के घर पर चले गए। जब हम लोग उसके घर पर गए तो सुहानी अपने कपड़े चेंज करने के लिए अपने बेडरूम में चली गई थी। मैंने सुहानी को जब उसके दरवाजे से झांक कर देखा तो सुहानी के नंगे बदन को देखकर मैं अपने अंदर की आग को रोक नहीं पा रहा था मैं सुहानी के साथ सेक्स करना चाहता था। मैंने उस दिन सुहानी की चूत मारने का फैसला कर लिया था। जब मैंने अपने लंड को उस दिन सुहानी के सामने किया तो वह कहने लगी यह तुम क्या कर रहे हो?
जब मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया तो कहीं ना कहीं वह भी गर्म होने लगी थी और मैं भी उसके होंठों को चूमने लगा था। सुहानी अब अपने आपको बिल्कुल रोक नहीं पा रही थी उसकी गर्मी बढ़ती ही जा रही थी और मेरी गर्मी भी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी। जब मैंने सुहानी से कहा तुम्हें मेरे लंड को चूसना है तो पहले वह शर्मा रही थी लेकिन फिर उसने मेरा लंड को चूसना शुरू कर दिया था। वह जिस तरह मेरे लंड को चूस रही थी वह मेरे लिए बहुत ही अच्छा था। मेरे लंड से पानी बाहर निकलने लगा था मैं खुश हो चुका था सुहानी भी बहुत ज्यादा खुश थी। मैंने सुहानी के बदन से कपड़ों को उतारा। जब वह मेरे सामने नंगी लेटी हुई थी तो मैं उसके बदन को महसूस कर रहा था। मुझे उसके स्तनों को चूसने में मजा आता और सुहानी की गुलाबी चूत को भी मैं चाटने लगा था। मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ को लगाकर उसकी योनि का रसपान करना शुरू कर दिया था वह बहुत उत्तेजित होने लगी थी। उसकी गर्मी बढ़ती जा रही थी मैंने भी सुहानी से कहा मैं अपने आपको रोक नहीं पाऊंगा।
मैंने जैसे ही उसकी योनि पर अपने लंड को लगाया तो वह मचलने लगी। वह अपने पैरों को खोलने लगी थी। जब उसने मुझे कहा मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रही हूं तो मैंने सुहानी की गिली चूत पर लंड को लगाया और अपने लंड को उसकी चूत मे घुसा दिया। उसकी योनि के अंदर मैंने अपने मोटे लंड को डाला और उसकी चूत में मेरा लंड चला गया था। जब उसकी योनि में मेरा लंड गया तो वह कहने लगी। सुहानी की चूत से खून निकल आया था। मुझे यह सब देखकर बहुत ही मज़ा आने लगा था मैं अब उसे तेजी से धक्के देने लगा था और सुहानी मेरा साथ अच्छे से दिए जा रही थी। जब वह मेरा साथ दे रही थी तो मुझे मज़ा आ रहा था और हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बढा रहे थे। मैं सुहानी की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को किए जा रहा था। सुहानी को बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था जब वह मेरा साथ दे रही थी। सुहानी की सिसकारियां बढ़ती जा रही थी और मेरी गर्मी भी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। जब मेरी गर्मी बढ़ने लगी तो मुझे मजा आने लगा था और सुहानी को भी मजा आ रहा था।
मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया था। जो मैंने उसके पैरो को कंधे पर रखा तो वह मुझे कहने लगी मुझे तुम बस ऐसे ही धक्के देते जाओ। सुहानी की गर्मी बढ चुकी थी और मैं उसकी चूत के अंदर बाहर बड़ी तेजी से लंड को किए जा रहा था। मेरा वीर्य मेरे अंडकोषो में जा चुका था। सुहानी की टाइट चूत में जब मैंने अपने माल को गिराया तो वह खुश हो चुकी थी। उसके बाद मैंने उसके साथ दो बार और सेक्स के मजे लिए थे। अब सुहानी की शादी हो चुकी है लेकिन हम दोनों को वह दिन हमेशा ही याद है जब हम लोगों ने एक दूसरे के साथ सेक्स के रंगीन मजे लिए थे।