Antarvasna, hindi sex kahani: सुबह के वक्त मैं अपने ऑफिस के लिए निकला और जब मैं अपने ऑफिस पहुंचा तो उस दिन मुझे ऑफिस में बड़ा काम था इसलिए मुझे घर लौटने में देरी हो गई थी। जब मैं घर लौटा तो मुझे यह भी ध्यान नहीं रहा कि मां ने मुझसे अपने लिए दवाई मंगाई थी और जब मैं घर पहुंचा तो मैं यह बात पूरी तरीके से भूल चुका था। घर लौटते वक्त काफी रात हो चुकी थी इसलिए मैं उस दिन दवा लेने तो नहीं गया लेकिन अगले दिन मेरी छुट्टी थी इसलिए मैं दवा लेने के लिए अपने घर से थोड़ी ही दूरी पर केमिस्ट शॉप में चला गया। मैं वहां पर जब गया तो मुझे सुहानी मिली सुहानी से मैं काफी लंबे अरसे बाद मिल रहा था सुहानी से मिलकर मुझे अच्छा लगा। मैंने सुहानी से पूछा कि क्या तुम अभी भी उसी कंपनी में जॉब कर रही हो जिसमें तुम पहले जॉब कर रही थी तो सुहानी ने मुझे बताया कि हां मैं अभी भी उसी कंपनी में जॉब कर रही हूं जिसमें मैं पहले कर रही थी।
मेरी बात उस दिन सुहानी से ज्यादा तो नहीं हो पाई लेकिन उससे मिलकर मुझे अच्छा लगा सुहानी मेरे साथ कॉलेज में पढ़ा करती थी और हम दोनों के बीच बहुत अच्छी दोस्ती भी है। उस दिन हम दोनों की ज्यादा बात ना हो सकी और मैं अपने घर वापस लौट आया। मैं जब घर वापस लौटा तो उस दिन मां ने मुझसे कहा कि बेटा आज तुम क्या घर पर ही हो तो मैंने मां को कहा कि नहीं मां मुझे अभी थोड़ी देर बाद अपने एक दोस्त को मिलने के लिए उसके घर जाना है। मां ने कहा कि तुम वहां से वापस कब लौट आओगे तो मैंने मां को कहा कि मैं वहां से एक दो घंटे बाद ही वापस लौट आऊंगा। मां मुझे कहने लगी कि बेटा आज मैं तुम्हारी मौसी के घर जा रही हूं मैंने मां को कहा कि ठीक है मां मैं आपको लेने के लिए मौसी के घर आ जाऊंगा।
मां कहने लगी कि ठीक है और मैंने मां को मौसी के घर छोड़ दिया था उसके बाद मैं अपने दोस्त से मिलने के लिए चला गया। जब मैं वहां से वापस लौटा तो मैं मां को अपने साथ घर ले आया था। पिताजी के देहांत के बाद मां ने मेरी बहुत ही अच्छे से परवरिश की उन्होंने मुझे कभी भी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी। मेरी जिंदगी बड़े ही अच्छे से चल रही है जिस तरीके से मेरी जॉब चल रही है उससे मैं बहुत ज्यादा खुश हूँ। मैं जिस कंपनी में जॉब करता हूं उस कंपनी में मुझे नौकरी करते हुए 3 वर्ष हो चुके हैं और इन 3 वर्षों में मेरा प्रमोशन भी हुआ है और मैं बड़ा खुश हूं जिस तरीके से मेरी जॉब चल रही है और मेरी जिंदगी में सब कुछ अच्छे से चलने लगा है। दीदी की शादी को अभी दो वर्ष हुए हैं और दीदी उस दिन हम लोगों से मिलने के लिए आई हुई थी।
काफी लंबे समय के बाद दीदी घर पर आई थी और दीदी जब उस दिन घर पर मिलने के लिए आई थी तो दीदी ने बताया कि जीजा जी कुछ दिनों के लिए बेंगलुरु गए हुए हैं इसलिए दीदी हम लोगों से मिलने के लिए आई। हम लोगों को उस दिन बड़ा ही अच्छा लगा जिस तरीके से दीदी से मैं काफी लंबे समय बाद मिला था। एक दिन जब मैं अपने ऑफिस से वापस लौट रहा था तो मुझे सुहानी का फोन आया और सुहानी ने मुझे बताया कि उसने अपनी कंपनी से रिजाइन दे दिया है और वह नौकरी की तलाश में है। मैंने सुहानी को कहा कि तुमने बहुत ही अच्छा किया जो मुझे फोन किया क्योंकि हमारे ऑफिस में भी कुछ वैकेंसी हैं अगर तुम चाहो तो मैं अपने ऑफिस में तुम्हारे लिए बात कर लेता हूं।
सुहानी ने कहा कि हां क्यों नहीं और मैंने सुहानी का रिज्यूम अपने ऑफिस में दे दिया जिससे कि सुहानी कि जॉब हमारे ऑफिस में लग चुकी थी। हम दोनों हर रोज एक दूसरे को मिलते तो हम दोनों को ही अच्छा लगता। हम दोनों की दोस्ती तो पहले से ही थे लेकिन अब मैं कहीं ना कहीं सुहानी को प्यार भी करने लगा था और सुहानी भी मुझे प्यार करने लगी थी लेकिन अभी तक हम दोनों ने अपने प्यार का इजहार नहीं किया था। मैं चाहता था कि मैं अपने प्यार का इजहार करूं। मैंने जब पहली बार सुहानी से अपने दिल की बात कही तो सुहानी को बड़ा ही अच्छा लगा और मुझे भी बहुत ही अच्छा लगा था जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे के साथ में रिलेशन में है। एक दूसरे के साथ हम बहुत ही ज्यादा खुश है और हम दोनों की जिंदगी बड़े ही अच्छे से चल रही है। सुहानी और मैं एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं और हम दोनों हम अपनी फैमिली से इस बारे में बात करना चाहते थे। हमारे ऑफिस के पास ही एक पार्क है उस दिन मैंने सुहानी से ऑफिस खत्म होने के बाद कहा कि चलो हम लोग आज पार्क में चलते हैं।
हम दोनों ऑफिस खत्म होने के बाद पार्क में साथ में बैठे हुए थे और एक दूसरे से बातें कर रहे थे तो हम दोनों को अच्छा लग रहा था। सुहानी ने मुझसे कहा कि मेरी फैमिली चाहती है कि मैं उन्हें तुमसे मिलाऊँ। मैंने सुहानी को कहा कि भला इसमें मुझे क्या एतराज है मैं तुम्हारी फैमिली से मिलना चाहता हूं। मैं सुहानी के परिवार से मिलना चाहता था मैं सुहानी के परिवार से कभी नहीं मिला था लेकिन जब पहली बार मैं सुहानी के पापा मम्मी से मिला तो मुझे उन लोगों से मिलकर बड़ा ही अच्छा लगा। वह लोग बड़े ही खुले ख्यालातो के हैं और मुझे उन लोगों से मिलकर बहुत ही अच्छा लगा था और सुहानी भी बहुत ज्यादा खुश थी। जब वह लोग मुझसे पहली बार मिले तो मैंने कभी सोचा नहीं था कि वह लोग हम दोनों की शादी के लिए तैयार हो जाएंगे। वह लोग हम दोनों की शादी के लिए तैयार थे किसी को भी हमारी शादी से कोई एतराज नहीं था और हम दोनों की शादी करवाने के लिए अब सुहानी के पापा मम्मी मान चुके थे।
मेरी मां को भी इससे कोई एतराज नहीं था। जब हम दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया था तो हम दोनों की शादी बड़ी ही धूमधाम से हुई और अब सुहानी मेरी जीवन में आ चुकी थी। सुहानी मेरी पत्नी बन चुकी थी सुहानी से मेरी शादी होने के बाद मैं बहुत ज्यादा खुश था और हम दोनों का शादीशुदा जीवन अच्छे से चल रहा है। जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे के साथ होते हैं और एक दूसरे को ज्यादा से ज्यादा समय देने की कोशिश करते हैं उससे हम दोनों को बड़ा ही अच्छा लगता है और हम दोनों बहुत ही ज्यादा खुश हैं। मैं सुहानी के साथ रिलेशन में बहुत खुश हूं और सुहानी भी मेरे साथ रिलेशन में बहुत खुश है। हम अभी भी उसी ऑफिस में जॉब करते हैं और हम दोनों साथ में ही ऑफिस जाया करते हैं और साथ में ही घर लौटा करते हैं। हम दोनों के बीच अंडरस्टैंडिंग बहुत ही अच्छी है इसलिए हम दोनों का रिलेशन अच्छे से चल पा रहा है। हम दोनों का शादीशुदा जीवन अच्छे से चल रहा है शायद उसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है।
मुझे जब भी सुहानी के साथ सेक्स करना होता तो हम दोनों को सेक्स करने मे मजा आता। वह हमेशा ही मेरे साथ सेक्स करने के लिए तैयार रहती। एक दिन हम दोनों अपने दोस्त के घर पर डिनर पर गए हुए थे उस दिन जब हम लोग वहां से डिनर करने के बाद घर लौटे तो काफी ज्यादा देर हो चुकी थी। सुहानी और मैं साथ में बैठकर बातें कर रहे थे। मैं जब सुहानी की तरफ देख रहा था तो मुझे अच्छा लग रहा था। मैं उसके होठों को चूमने लगा। मैं सुहानी के होंठों को चूमने लगा था मुझे अच्छा लगता और उसे भी बड़ा अच्छा लग रहा था। मैं जिस तरीके से उसके होठों को चूम कर उसकी गर्मी को बढ़ा रहा था मैंने सुहानी की गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ा दिया था। मैंने अपने लंड को सुहानी के सामने किया तो वह मेरे लंड को लपकती हुए मेरे लंड को हिलाने लगी थी। मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था जब वह मेरे मोटे लंड को हिलाकर मेरी गर्मी को बढ़ा रही थी। अब मेरी गर्मी इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी उसे रोक पाना मुश्किल हो रहा था।
मैंने सुहानी के कपड़ों को खोलते हुए जब उसके बदन को महसूस करना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा था और मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। हम दोनों पूरी तरीके से गर्म होने लगे थे मेरी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। अब हम दोनों की गर्मी इतनी ज्यादा बढ़ने लगी थी मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था ना ही सुहानी अपने आपको रोक पा रही थी। मैंने सुहानी की गीली हो चुकी चूत पर अपने लंड को लगाते हुए अंदर की तरह घुसाना शुरू किया और धीरे धीरे मेरा लंड चूत में घुस चुका था। मेरा लंड उसकी चूत में जा चुका था मुझे बहुत मज़ा आ रहा था जिस तरीके से मैं और सुहानी एक दूसरे का साथ दे रहे थे। हम दोनों बहुत ही ज्यादा खुश थे हम दोनों को बहुत अच्छा लग रहा था जब हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स का मजा ले रहे थे।
हम दोनों की गर्मी बढ़ती जा रही थी। अब हम दोनों की गर्मी इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी उसे रोक पाना मुश्किल था और मेरे धक्को मे और भी तेजी आ चुकी थी। मेरा मोटा लंड बड़ी ही आसानी से सुहानी की चूत के अंदर बाहर होता तो मुझे बहुत मज़ा आ रहा था जिस तरीके से मैं उसकी चूत का मजा लेकर उसकी गर्मी को बढ़ा रहा था। जब मैं सुहानी की चूत में अपने लंड को घुसाता तो मुझे बहुत मजा आता है और वह भी बहुत ज्यादा खुश थी। मेरे लंड से मेरा वीर्य बाहर की तरफ आने लगा था मैंने अपने माल को सुहानी की चूत में गिरा दिया था मैंने उसकी चूत की खुजली को शांत कर दिया था और उसके बाद हम दोनों ने दो बार और सेक्स के मज़े लिए। मैंने सुहानी को घोड़ी बनाकर चोदा तो मुझे बहुत ही मजा आया और उसे भी बहुत अच्छा लगा था।