Antarvasna, desi sex kahani: कॉलेज खत्म हो जाने के बाद मैं दुकान में चला गया। पापा की तबीयत ठीक नहीं थी तो उन्होंने मुझे कहा कि बेटा तुम आज दुकान का काम संभाल लो। पापा को मैंने घर जाने के लिए कहा तो वह घर चले गए थे और मैं दुकान पर ही था। रात को जब मैं घर लौटा तो मैंने पापा से पूछा कि आपकी तबीयत कैसी है वह मुझे कहने लगे कि मेरी तबीयत ठीक है और उसके बाद मैंने और पापा ने डिनर किया। मम्मी घर पर नहीं थी मम्मी उस दिन मामा जी से मिलने के लिए उनके घर पर गई हुई थी। हम लोगों ने डिनर किया और फिर अगले दिन मैं अपने कॉलेज के लिए निकल चुका था। जब मैं अपने कॉलेज गया तो उस दिन मेरे दोस्त ने मुझे कहा कि आज हमारे कॉलेज का आखिरी दिन है और जल्द ही हमारे एग्जाम होने वाले थे।
कॉलेज का मेरा आखिरी वर्ष था हमारे एग्जाम होने वाले थे। जब एग्जाम खत्म हो गए तो उसके बाद कॉलेज में कैंपस प्लेसमेंट के लिए कुछ कंपनी आई और उस प्लेसमेंट में मेरा सिलेक्शन भी हो गया लेकिन मुझे जॉब करने के लिए गोरखपुर जाना पड़ा। पहले तो पापा ने मुझे गोरखपुर जाने से मना कर दिया था परंतु मैंने उन्हें मनाया और फिर मैं गोरखपुर चला गया था। मैं जब गोरखपुर गया तो उसके बाद मेरी जिंदगी में सब कुछ बदलने लगा था मेरी जिंदगी में अब पूरी तरीके से बदलाव आ चुका था। काफी लंबा समय हो गया था मैं अपने घर चंडीगढ़ भी नहीं जा पाया था काफी लंबे समय के बाद जब मैं अपने घर चंडीगढ़ गया तो मुझे काफी ज्यादा अच्छा लगा। अपने परिवार से काफी लंबे समय के बाद मुलाकात करना मुझे काफी ज्यादा अच्छा लगा और मैं बहुत ज्यादा खुश भी था। कुछ समय तक मैं घर पर रहा और मुझे बिल्कुल भी पता नहीं चल पाया कि कब मेरी छुट्टियां खत्म हो गई और मैं वापस गोरखपुर लौट चुका था। जब मैं गोरखपुर वापस लौटा तो गोरखपुर में मैं काफी ज्यादा बिजी रहने लगा था सुबह के वक्त मैं अपने ऑफिस जाता और शाम के वक्त मैं घर लौट आता मुझे समय का कुछ पता ही नहीं चल पाता था।
एक दिन मैं और मेरे दोस्त ने सोचा कि क्यों ना आज हम लोग कहीं घूम आते हैं उस दिन हम दोनों ने मूवी देखने का प्लान बनाया और हम दोनों मूवी देखने के लिए चले गए। जब उस दिन हम दोनों मूवी देखने के लिए गए तो उस दिन मेरी मुलाकात हमारे साथ पढ़ने वाली संगीता के साथ हो गयी। संगीता से मैं काफी लंबे अरसे के बाद मिल रहा था संगीता और मैं एक दूसरे से बातें करने लगे। मैंने संगीता से पूछा तो संगीता ने मुझे बताया कि वह भी गोरखपुर में ही जॉब करने लगी है। संगीता गोरखपुर में जॉब करने लगी थी और मैं उस दिन संगीता से मिलकर बड़ा खुश हुआ और संगीता भी मुझसे मिलकर बहुत खुश थी। उस दिन के बाद हम दोनों की मुलाकात अक्सर होती ही रहती थी।
मैं जब भी संगीता को मिलता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता और उसे भी बड़ा अच्छा लगता है जब भी हम दोनों एक दूसरे से मुलाकात करते हैं। कॉलेज के दिनों में मैंने कभी भी संगीता के बारे में ऐसा कुछ सोचा नहीं था लेकिन अब संगीता और मैं एक दूसरे को हर रोज मिलने लगे थे इसलिए कहीं ना कहीं हम दोनों के दिल में एक दूसरे के लिए प्यार पनपने लगा था। मैं संगीता को बहुत ज्यादा प्यार करने लगा था परंतु अभी तक मैंने उससे अपने दिल की बात नहीं कही थी और ना ही संगीता ने मुझसे अपने दिल की बात कही थी लेकिन जब मैंने और संगीता ने एक दूसरे से अपने प्यार का इजहार किया तो हम दोनों बड़े खुश हुए।
मैंने और संगीता ने अब अपने प्यार के बारे में अपने परिवार वालों को भी बता दिया था मेरी फैमिली को उससे कोई भी ऐतराज नहीं था। वह लोग संगीता के परिवार से जब पहली बार मिले तो उन लोगों को बहुत ही अच्छा लगा और मुझे भी बड़ा अच्छा लगा था जिस तरीके से वह लोग संगीता की फैमिली से पहली बार मिले। किसी को भी हम दोनों के प्यार से कोई एतराज नहीं था और सब लोगों ने हमारे रिलेशन को स्वीकार कर लिया था। संगीता और मेरी सगाई करवाने के लिए अब संगीता की फैमिली के लोग भी मान चुके थे और मेरी फैमिली में भी किसी को कोई ऐतराज नही था वह संगीता के साथ मेरी सगाई करवाने के लिए तैयार थे। जब हम दोनों की सगाई हुई तो हम दोनों को बड़ा अच्छा लगा और हम दोनों बड़े खुश थे।
पापा चाहते थे कि मैं अब चंडीगढ़ में ही रहूं लेकिन मैंने पापा से कहा कि नहीं मैं गोरखपुर में ही जॉब करना चाहता हूं। संगीता और मेरी सगाई हो चुकी थी सगाई के बाद हम दोनों गोरखपुर में ही जॉब कर रहे थे। कभी भी कोई परेशानी संगीता को होती तो मैं हमेशा ही संगीता की मदद करने के लिए चला जाया करता था। सब कुछ मेरी जिंदगी में अच्छा चल रहा था। संगीता और मेरी शादी के लिए भी पापा ने मुझसे कहा तो मैंने भी पापा को कहा कि मैं और संगीता शादी करना चाहते हैं। हम लोगों ने शादी करने का फैसला कर लिया था हम लोगों ने हमारे दोस्तों को हमारी शादी में इनवाइट किया। जब मेरे दोस्त शादी में आए तो मुझे बड़ा अच्छा लगा मेरी और संगीता की शादी बड़ी धूमधाम से हुई और फिर संगीता मेरी पत्नी बन चुकी थी। संगीता के मेरी पत्नी बन जाने के बाद मेरे और संगीता के बीच बहुत ही अच्छी अंडरस्टैंडिंग है और हम दोनों अभी भी गोरखपुर में ही जॉब करते हैं।
गोरखपुर में ही मैंने घर लेने का फैसला कर लिया था और जब मैंने गोरखपुर में घर लिया तो मैं और संगीता बहुत ज्यादा खुश थे। हम दोनों की जिंदगी अच्छे से चल रही थी और हम दोनों एक दूसरे को अच्छे से समझते हैं। जिस तरीके से मैं और संगीता एक दूसरे के साथ होते तो हम दोनों को अच्छा लगता। हम दोनों एक दूसरे के साथ अक्सर समय बिताने की कोशिश किया करते लेकिन हम दोनों को समय कम ही मिला करता था इसलिए अब हम दोनों ने कहीं साथ में छुट्टियां बिताने का फैसला कर लिया था। हम दोनों की शादी को 6 महीने हो चुके थे और 6 महीने के बाद हम दोनों ने साथ में कहीं जाने का फैसला किया। हम दोनों घूमने के लिए शिमला जाना चाहते थे और मैंने शिमला में सारी बुकिंग करवा ली थी। जब मैं और संगीता शिमला गए तो हम दोनों बड़े ही खुश थे मैं और संगीता बहुत ज्यादा खुश थे। संगीता के साथ में समय बिता कर मुझे बड़ा अच्छा लगा और संगीता को भी बड़ा अच्छा लगता जब हम दोनों साथ में होते।
कुछ ही दिन बाद हम दोनों शिमला से वापस गोरखपुर लौट आए थे हम लोगों का शिमला का टूर बड़ा ही अच्छा रहा और हम दोनों ने शिमला में खूब इंजॉय किया। संगीता और मैं एक दूसरे से बहुत ज्यादा प्यार करते हैं हमारी जिंदगी में सब कुछ अच्छे से चल रहा है। हम दोनों के बीच में सेक्स संबंध भी बनते ही रहते हैं। एक दिन मैं अपने ऑफिस से घर लौटा उस दिन मैं काफी ज्यादा थका हुआ महसूस कर रहा था संगीता ने मुझे कहा मैं आपके बदन की मालिश कर देती हूं। संगीता ने उस दिन मेरे बदन की मालिश की लेकिन उस रात संगीता और मैं एक दूसरे की बाहों में आने के लिए तड़पने लगे थे। जब हम दोनों एक दूसरे की बाहों में आ गए तो हम दोनों को बड़ा ही अच्छा लग रहा था मैं संगीता के होठों को चूमने लगा था। मेरा हाथ संगीता के स्तनो पर था और मैं उसके स्तनो को चूसना चाहता था। जब मैंने संगीता के कपडो को खोलकर उसके स्तनो को चूसना शुरू किया तो मुझे मजा आ रहा था और वह मेरा साथ देने लगी थी। जब मैं और संगीता एक दूसरे को गरम कर रहे थे तो मुझे मजा आ रहा था। संगीता मेरे लंड को चूसने के लिए तडप रही थी। मैंने संगीता के सामने लंड को किया तो संगीता मेरे लंड को चूसने लगी और मेरे लंड से पानी निकलने लगा। संगीता मेरे लंड को कठोर बना चुकी थी और मुझे लग चुका था वह अब रह नहीं पाएगी इसलिए मैंने संगीता की चूत को भी चाटना शुरु किया।
संगीता की चूत से उसका गिला पदार्थ निकल रहा था। मैंने संगीता की चूत को अच्छे से चाटा। मुझे संगीता की चूत को बहुत देर तक चाटा मेरी गर्मी बहुत बढ चुकी थी। मैं संगीता की चूत को बहुत देर तक चाटता रहा। मुझे अब संगीता को पूरी तरह गरम कर दिया था वह मेरे लंड को चूत मे लेने को तरस रही थी। मैंने संगीता की चूत के अंदर लंड डाला। मेरा लंड संगीता की चूत की दीवार तक जा चुका था और मैं संगीता को तेजी से चोदने लगा। संगीता भी अपने पैरो को चौडा करने लगी और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब मैं संगीता की चूत के मजे ले रहा था और मुझे बहुत अच्छा लगता जिस तरह से मैं संगीता की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करता जा रहा था। अब संगीता और मैं पूरे जोश मे आ चुके थे। संगीता मुझे बोली और तेजी से चोदते जाओ। मैं संगीता के पैरो को अपने कंधे पर रख चुका था और संगीता की चूत मारने मे मुझे मजा आ रहा था। मेरा लंड आसानी से संगीता की चूत के अंदर बाहर होता तो वह भी मेरा पूरा साथ देती।
संगीता की चूत के अंदर से निकलता हुआ पानी मेरे लंड को और भी गरम करता जा रहा था। अब संगीता मुझे अपने पैरो के बीच मे जकडने की कोशिश कर रही थी। मैं संगीता की चूत पर तेजी से प्रहार कर रहा था और मेरी गर्मी संगीता की चूत के अंदर बाहर होती जिस से मेरी आग बढने लगी और संगीता की चूत से निकलता पानी बहुत अधिक हो चुका था। मैंने संगीता की चूत मे अपने माल को गिराया और उसकी चूत से लंड को बाहर निकाला तो वह उसे चूसने लगी। वह मेरे लंड को जिस तरह से चूस रही थी उस से मुझे मजा आ रहा था और मैं खुश था। उसने मेरे लंड पर लगे माल को चाट लिया था और अब हम दोनो साथ मे लेटे थे।