Antarvasna, hindi sex stories: कुछ दिनों के लिए मैं अपने ऑफिस से ब्रेक लेना चाहता था क्योंकि काफी समय हो गया था मैंने छुट्टी भी नहीं ली थी और मैं अपने पापा मम्मी को मिलने के लिए चंडीगढ़ भी नहीं जा पाया था। मैं पिछले दो वर्षों से मुंबई में नौकरी कर रहा हूं। मैंने सोचा कि कुछ दिनों के लिए मैं अपने पापा मम्मी से मिल आता हूं। मैं 8 महीने पहले अपने घर गया था तब से अब तक मैं अपने घर नहीं जा पाया हूं लेकिन अब मुझे भी लग रहा था कि मुझे कुछ दिनों के लिए अपने घर हो आना चाहिए तो मैं कुछ दिनों के लिए अपने घर चला गया। मैं जब अपने घर गया तो मैं काफी खुश था और पापा मम्मी से मैं इतने लंबे अरसे बाद मिल रहा था वह लोग भी बहुत ज्यादा खुश थे। जब मैंने उनसे मुलाकात की तो उन्होंने मुझे कहा कि बेटा तुमने बहुत ही अच्छा किया जो इतने दिनों बाद तुम घर आ गए। पापा ने मुझे बताया कि वह कुछ समय बाद रिटायर होने वाले हैं मैंने पापा से कहा कि पापा लेकिन आपने यह बात तो मुझे फोन पर नहीं बताई तो पापा ने कहा कि बेटा हां मैंने सोचा कि जब तुम घर आओगे तो तब ही मैं तुम्हें बताऊँगा।
पापा की रिटायरमेंट दो महीने बाद होने वाली थी और इतने लंबे अरसे बाद अपनी फैमिली के साथ एक अच्छा समय बिताकर मैं काफी खुश था और पापा मम्मी भी बहुत ज्यादा खुश थे। मैं करीब 15 दिनों तक अपने घर पर रहा और उसके बाद मैं वापस मुंबई लौट आया। जब मैं मुंबई वापस लौटा तो मेरे सामने वाले फ्लैट में मुझे एक लड़की दिखाई दी वह जिस वक्त ऑफिस जा रही थी उस वक्त मैंने उसे देखा था उससे पहले मैंने कभी उसे देखा नहीं था। मैंने उससे पूछा कि क्या आप यहां नई आई है तो वह मुझे कहने लगी कि हां मैं यहां नई आई हूं मैंने उससे हाथ मिलाते हुए कहा कि मेरा नाम सुरेश है तो उसने मुझे कहा मेरा नाम सुरभि है। यह भी अजीब इत्तेफाक था कि सुरभि भी चंडीगढ़ की रहने वाली थी मैंने सुरभि से कहा मैं भी चंडीगढ़ का रहने वाला हूं और उसके बाद तो हम दोनों की दोस्ती काफी अच्छी होने लगी थी। सुरभि और मैं एक दूसरे के साथ काफी अच्छा समय भी बिताने लगे थे और हम दोनों को एक दूसरे का साथ काफी अच्छा लगता लेकिन सुरभि ने जब मुझे अपने बॉयफ्रेंड के बारे में बताया तो मुझे यह सुनकर थोड़ा बुरा जरूर लगा। मैं चाहता था कि मैं सुरभि से अपने दिल की बात कहूँ क्योंकि मैं उसे पसंद करने लगा था लेकिन यह हो ना सका। सुरभि ने मुझे अपने बॉयफ्रेंड के बारे में बता दिया था फिर मैंने भी उसके बाद सुरभि से कभी इस बारे में बात नहीं की लेकिन हम दोनों की दोस्ती में कभी इस बात की वजह से कोई भी खटास पैदा नहीं हुई और हम दोनों एक दूसरे के काफी अच्छे दोस्त थे। मैं एक बार चंडीगढ़ जा रहा था तो सुरभि ने मुझसे कहा कि सुरेश क्या तुम मेरे घर पर मेरी मम्मी को यह साड़ी दे दोगे तो मैंने सुरभि से कहा हां क्यों नहीं।
सुरभि ने मुझे अपने घर का एड्रेस दिया और मैं सुरभि के घर पर वह साड़ी लेकर चला गया। जब मैं चंडीगढ़ गया तो सुरभि की मम्मी मुझे मिली और उन्होंने मुझसे पूछा कि बेटा क्या तुम सुरभि के पड़ोस में रहते हो तो मैंने उन्हें बताया हां आंटी मैं सुरभि के पड़ोस में ही रहता हूं। उन्होंने मुझे कहा कि बेटा कुछ देर बैठ जाओ मैंने उन्हें कहा नहीं आंटी मैं अभी चलता हूं उसके बाद मैं अपने घर लौट आया। मैंने सुरभि को इस बारे में बता दिया था कि मैंने तुम्हारी मम्मी को साड़ी दे दी है, सुरभि ने अपनी मम्मी को वह साड़ी गिफ्ट की थी। थोड़े दिनों तक मैं घर पर रहा और उसके बाद मैं मुंबई लौट आया। जब मैं मुंबई लौटा तो एक दिन मैंने देखा कि सुरभि काफी ज्यादा परेशान थी उसने मुझे फोन किया उस वक्त मैं ऑफिस में ही था मैंने सुरभि को कहा अभी तो मैं ऑफिस में हूं। सुरभि मुझे कहने लगी की सुरेश मुझे तुमसे अभी मिलना था तो मैंने उसे कहा थोड़ी देर बाद मैं ऑफिस से फ्री हो जाऊंगा तो मैं तुमसे मुलाकात करता हूं। सुरभि ने कहा ठीक है जब तुम फ्री हो जाओगे तो तुम उससे मुलाकात करना और उसके बाद मैं सुरभि को मिलने चला गया।
जब मैं सुरभि को मिला तो मैंने उससे पूछा आखिर क्या परेशानी हो गई तो उसने मुझे बताया कि मेरे बॉयफ्रेंड के साथ आज मेरा बहुत झगड़ा हुआ। मैंने उससे जब इस बारे में पूछा तो उसने मुझे बताया कि मैंने उसे एक लड़की के साथ देखा और यह मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं आया। मैंने सुरभि को कहा कि सुरभि हो सकता है कि वह उसकी कोई परिचित हो तुम उससे एक बार बात तो करो। सुरभि ने मुझे कहा कि मुझे फिलहाल तो किसी से बात करने का मन नहीं है वह तो मैंने सोचा कि तुमसे बात करूंगी तो मुझे थोड़ा अच्छा लगेगा। मैंने सुरभि को कहा चलो हम लोग ही कहीं घूम आते हैं और इस बहाने तुम्हारा मूड भी सही हो जाएगा। हम दोनों एक रेस्टोरेंट में चले गए और वहां पर हम दोनों ने डिनर किया सुरभि बहुत ज्यादा परेशान लग रही थी लेकिन उसके चेहरे पर अब थोड़ी बहुत खुशी नजर आ रही थी। मैंने उससे कहा कि तुम अपने बॉयफ्रेंड से इस बारे में बात करना तो उसने मुझे कहा हां तुम ठीक कह रहे हो मुझे इस बारे में उससे बात करनी चाहिए क्या पता हो सकता है की मैं ही गलतफहमी में जी रही हूं। मैंने सुरभि को कहा हां सुरभि तुम उससे जरूर इस बारे में बात करना और फिर उसके बाद हम लोग घर लौट आए। जब हम घर लौटे तो उसके अगले सुरभि ने मुझे बताया कि अब उसके और उसके बॉयफ्रेंड के बीच में सब कुछ ठीक हो चुका है। सुरभि ने मुझे कहा कि हां सुरेश तुम बिल्कुल ठीक कहते थे मेरी ही गलती की वजह से मैं उस पर शक कर रही थी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था। इस बात से एक बात तो साफ हो चुकी थी सुरभि मुझ पर बहुत ज्यादा भरोसा करने लगी थी।
एक दिन वह मेरे फ्लैट में आई हुई थी और हम दोनों साथ में बैठे हुए थे। हम एक दूसरे से बात कर रहे थे सुरभि और मैं एक दूसरे से बात कर रहे थे लेकिन जब मेरा हाथ सुरभि की जांघों पर लगने लगा तो ना जाने मेरे मन में उसे लेकर क्यों एक अलग ही भावना जागने लगी थी। मैं उसकी जांघों को सहलाने लगा था सुरभि की चूत से निकलती हुई गर्मी को रोक नहीं पा रही थी और ना तो वह अपने आपको रोक पा रही थी। मै भी अपने आपको रोक नही पा रहा था मैंने सुरभि के होंठों को चूमना शुरू किया तो मुझे काफी ज्यादा अच्छा महसूस होने लगा था और उसको भी बहुत अच्छा लग रहा था जिस प्रकार से वह और मैं एक दूसरे का साथ दे रहे थे उस से हम दोनों को ही काफी अच्छा लग रहा था और हम दोनों ही बहुत ज्यादा खुश थे। मैं सुरभि के बदन को महसूस करने लगा मैंने उसके कपड़े उतारे तो सुरभि मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। सुरभि को अब बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था और मैं उसके बदन को महसूस कर रहा था। मैने उसके स्तनों को दबाना शुरू किया तो वह मचलने लगी। वह अपने पैरों को आपस में मिलाने की कोशिश करती तो मुझे मजा आ जाता। वह अब मेरे लंड को चूसने लगी थी। सुरभि ने मेरे लंड को चूस कर मेरा पानी निकाल दिया था।
मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था जिस प्रकार से मैं उसकी गर्मी को बढा रहा था और उस से वह पूरी तरीके से उत्तेजित होती जा रही थी। मैने उसकी चूत को बहुत देर तक चाटा। मैंने सुरभि को कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले लो सुरभि ने तुरंत मेरी बात मान ली और वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर उसे चूसने लगी। जब वह ऐसा कर रही थी तो मेरा लंड और भी कडक होता जा रहा था और मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था। सुरभि मुझे कहने लगी तुम मेरी योनि को चाटो हम दोनों ने आपस में एक दूसरे को मजा देना शुरू कर दिया था। मैं सुरभि की चूत को चाट रहा था और वह मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले रही थी। मेरे लंड से निकलता हुआ पानी अब बहुत ज्यादा बढ़ चुका था जब मैं ऐसा कर रहा था तो मुझे काफी ज्यादा अच्छा लगने लगा था लेकिन सुरभि चाहती थी मैं उसकी चूत में लंड घुसा दू और मैंने ऐसा ही किया। मैंने जैसे ही उसकी योनि के अंदर लंड घुसाया तो मुझे मजा आने लगा और सुरभि को भी मजा आने लगा था जिस प्रकार से मैं सुरभि की योनि के अंदर अपने लंड को घुसा रहा था। मैंने सुरभि की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करना शुरू कर दिया था और मुझे काफी ज्यादा मजा आ रहा था जब मैं ऐसा कर रहा था। मैंने उसकी चूत में अपना लझड को तेजी से अंदर बाहर करना शुरू किया तो वह जोर से सिसकारियां लेने लगी और उसकी सिसकारियां बढने लगी थी।
मुझे मजा आने लगा था और सुरभि को भी बहुत ज्यादा आनंद आने लगा था जिस प्रकार से वह मेरा साथ दे रही थी। वह मुझे कहती तुम मुझे और तेजी से धक्के मारते रहो। मैंने भी उसे बहुत ही तेज गति से धक्के मारने शुरू कर दिए थे। मैं सुरभि को तेजी से धक्के मार रहा था तो वह बहुत जोर से सिसकारियां ले रही थी और मुझे भी अच्छा लग रहा था। सुरभि और मैं एक दूसरे की गर्मी को बढ़ाए जा रहे थे। हम दोनो को मजा आ चुका था अब मेरे अंडकोष मेरे वीर्य को बाहर फेंकने वाला था और मैंने अपने वीर्य को सुरभि की चूत में गिरा कर उसकी इच्छा को पूरा कर दिया था वह भी खुश हो चुकी थी और मैं भी काफी ज्यादा खुश हो चुका था। वह मुझसे प्यार नहीं करती थी परंतु हम दोनों को जब भी सेक्स करना होता तो हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स कर लिया करते। मैं सुरभि को पूरी तरीके से संतुष्ट कर दिया करता और वह भी मेरे लंड को अपनी चूत मे लेने के लिए हमेशा तड़पती रहती थी।