Antarvasna, kamukta: मैंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई तो पूरी कर ली थी और मैं अब नौकरी की तलाश में था। एक दिन पापा ने मुझे बताया कि उन्होंने नौकरी छोड़ दी है उनकी उम्र भी हो चुकी थी और उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी जिससे कि घर में कमाई का कोई भी जरिया नहीं था। मैं भी नौकरी की तलाश में था लेकिन अभी मुझे नौकरी मिल नहीं रही थी। मैं एक कंपनी में इंटरव्यू देने के लिए गया और वहां पर जब मैंने इंटरव्यू दिया तो मेरा सिलेक्शन वहां हो गया। मैं अच्छी तनख्वाह पर नौकरी करने लगा था और मुझे इस बात की कोई चिंता नहीं थी कि घर में कोई कमाने वाला नहीं है क्योंकि मैं कमाने लगा था। मैं अपनी तनख्वाह से पैसे बचाकर घर में दे दिया करता जिससे कि घर का खर्चा अच्छे से चल जाया करता और सब कुछ बहुत ही अच्छे से चल रहा था।
एक दिन मैं अपने दफ्तर से वापस लौट रहा था उस दिन मुझे घर लौटने में देरी हो गई थी और जब मैं घर लौटा तो मैंने देखा उस दिन मेरी छोटी बहन घर पर नहीं थी। मैंने मां से पूछा कि मां अनीता अभी तक घर पर नहीं आई तो मां ने कहा कि नहीं बेटा अनीता का नंबर भी नही लग रहा है। हम लोग इस बात से बड़े घबराए हुए थे उसके बाद मैंने अनीता की सहेली शीतल को फोन किया तो शीतल ने मुझे कहा कि नहीं अनीता यहां नहीं आई थी। अनीता इस तरीके से बिना बताए घर से कहीं चली गई थी और सब लोग बहुत ज्यादा घबरा गए थे लेकिन थोड़ी देर बाद वह वापस आ गई। जब वह वापस आई तो मां ने उसे बहुत डांटा और अनीता से कहा कि तुम बिना बताए कहां चली गई थी। अनीता ने मां से कहा कि मैं अपनी सहेली के यहां थी तो मां ने कहा कि लेकिन तुम्हारा नंबर क्यों नहीं लग रहा था तो अनीता ने कहा कि मेरा फोन स्विच ऑफ हो गया था इस वजह से मेरा नंबर नहीं लग रहा था। मैंने भी अनीता को समझाया और कहा कि इस तरीके से तुम्हारी लापरवाही बिल्कुल भी ठीक नहीं है।
अनीता कॉलेज की पढ़ाई कर रही है और यह अनीता का आखिरी वर्ष था। जब अनीता का कॉलेज पूरा हो गया तो अनीता भी अब नौकरी करने लगी थी। मैं हमेशा ही पापा और मम्मी के बारे में सोचा करता। मामा जी घर पर आए हुए थे उस दिन मैं भी घर पर ही था। मामा जी घर पर आए तो उन्होंने मुझसे कहा कि बेटा आज तो तुम्हारी ऑफिस की छुट्टी होगी। मैंने मामा जी से कहा कि हां मामा जी आज मेरे ऑफिस की छुट्टी है और आज मैं घर पर ही हूं। मामा जी काफी दिनों के बाद घर पर आ रहे थे घर में अब सब कुछ अच्छे से चल रहा है और मुझे इस बात की बड़ी खुशी है कि घर में सब कुछ बहुत ही अच्छे से चल रहा है। उस दिन मामा जी घर पर शाम तक रहे और फिर वह चले गए। मैं इस बात से बहुत ज्यादा खुश हूं कि अब सब कुछ अच्छे से चल रहा है। एक दिन मैं और पापा उनके एक दोस्त के घर गए हुए थे। जब हम लोग उनके घर गए तो वहां पर एक लड़की आई हुई थी मैं उस लड़की को देखे जा रहा था वह भी मेरी तरफ देख रही थी लेकिन उस लड़की के बारे में मुझे ज्यादा कुछ पता नहीं था। वह लड़की पापा के दोस्त के पड़ोस में रहती हैं और मैंने उसे पहली बार ही देखा था।
एक दिन मैं अपने ऑफिस के लिए घर से निकला था उस दिन वह लड़की मुझे बस में मिली। जब वह मुझे बस में दिखी तो मैंने उससे बात की और हम दोनों ने एक दूसरे से बात की तो हम दोनों को ही अच्छा लगने लगा। पहली ही मुलाकात में मैंने उस लड़की का नंबर ले लिया और उसका नाम भी मुझे पता चल चुका था। उसका नाम मनीषा है और मनीषा से बात कर के मुझे बहुत ही अच्छा लगा। मनीषा से मैं फोन पर बातें करने लगा था और जब मैं मनीषा से फोन पर बातें करता तो मुझे बहुत अच्छा लगता। जिस तरीके से मैं और मनीषा एक दूसरे के साथ होते उससे हमें बहुत ही अच्छा लगता है और हम दोनों एक दूसरे को बहुत मिलने भी लगे थे। मनीषा से मैं जब भी मुलाकात करता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता था। एक दिन मनीषा और मैं साथ में बैठे हुए थे उस दिन जब हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे तो हम दोनों को बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने मनीषा को कहा कि चलो आज मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देता हूं। मुझे मनीषा के साथ बैठे हुए करीब दो घंटा हो चुका था हम दोनों एक दूसरे के साथ दो घंटे तक साथ में थे लेकिन मुझे पता ही नहीं चला कि कब हम दोनों को इतना समय हो गया।
मैंने उस दिन मनीषा को उसके घर तक छोड़ दिया था जब मैं घर लौटा तो मनीषा का फोन मुझे आ रहा था लेकिन मैं उसका फोन उठा नहीं पाया। मैंने मनीषा को आधे घंटे के बाद फोन किया और जब मैंने मनीषा से फोन पर बातें कि तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मेरी और मनीषा की फोन पर बातें हो रही थी मुझे उस दिन पता ही नहीं चला कि कब मुझे नींद आ गई और मेरी आंख लग चुकी थी। मुझे नींद आ गई थी और मैं मनीषा के साथ बातें करते करते सो चुका था। अगले दिन जब मैं ऑफिस के लिए निकला तो मैंने मनीषा को फोन किया लेकिन मनीषा ने मेरा फोन नहीं उठाया था और जब मैं ऑफिस पहुंचा तो मनीषा का मुझे फोन आया। मैं अपना काम कर रहा था इसलिए मैंने मनीषा को कहा कि मैं तुम्हें शाम के वक्त फोन करता हूं और शाम को हम लोग मिलते हैं मनीषा ने कहा ठीक है। मेरी बात उस वक्त मनीषा से ज्यादा नहीं हो पाई और फिर मैं अपने ऑफिस का काम खत्म करने के बाद शाम के वक्त करीब 6:30 बजे अपने ऑफिस से निकला।
जब मैं अपने ऑफिस से निकला तो मैंने मनीषा से मुलाकात की। मनीषा से जब मैं मिला तो मैंने मनीषा को कहा कि आज ऑफिस में काफी ज्यादा काम था इसलिए मैं तुमसे फोन पर बात नहीं कर पाया। मनीषा को इससे कोई परेशानी नहीं थी और हम दोनों एक दूसरे के साथ बैठे हुए थे। मनीषा और मैं साथ में बैठे हुए थे लेकिन उस दिन मनीषा के किसी रिश्तेदार ने हम दोनों को साथ में देख लिया था और मनीषा के घर पर अब यह बात पता चल चुकी थी। मनीषा ने मुझे फोन कर के इस बारे में बताया और कहा कि मेरे पापा को हमारे बारे में पता चल चुका है। मैंने मनीषा से कहा कि तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं है तो मनीषा ने कहा कि मैंने हम दोनों के बारे में अपने घर पर बता दिया है। क्योंकि मनीषा और मैं दूसरे को बहुत ज्यादा प्यार करते हैं इसलिए हम दोनों को एक दूसरे का साथ बहुत ही अच्छा लगता है। उस दिन भी मनीषा और मैं साथ में थे और मैंने मनीषा से कहा मुझे तुम्हारे होंठों को चूमना है। जब वह मेरी आंखों में देख रही थी तो मैंने मनीषा की होंठों को चूमना शुरू किया क्योंकि हम दोनों पार्क में बैठे हुए थे और वहां पर कोई भी नहीं था।
मैंने आसपास नजर दौड़ाई तो वहां कोई नहीं था क्योंकि हम दोनों पूरी तरीके से गर्म हो चुके थे इसलिए हम दोनों बिल्कुल भी रह नहीं सके और मैंने मनीषा के सामने अपने लंड को करना शुरु कर दिया था। मैंने मनीषा से कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले लो। मनीषा ने मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में समा लिया और वह उसे अच्छी तरीके से चूसने लगी। वह जिस तरीके से मेरे लंड को चूस रही थी उससे हम दोनों को मजा आ रहा था और हम दोनों पूरी तरीके से गर्म हो रहे थे। मैंने मनीषा से कहा चलो हम लोग झाड़ियों में चलते हैं। पार्क के सामने ही काफी धनी झाडिया थी और हम दोनों वहां पर चले गए। जब हम लोग वहां पर गए तो मनीषा ने अपने कपडो को उतार दिया। मैंने मनीषा की चूत को सहलाना शुरू किया तो मैं मनीषा की चूत को सहला रहा था और उसकी गर्मी को मैं बढ़ाता जा रहा था। वह बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी और मैंने जब मनीषा की चूत को चाटना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी मेरी चूत की गर्मी को तुमने बढ़ा दिया है।
अब मैंने भी मनीषा की चूत के अंदर अपने लंड को घुसाने का फैसला कर लिया था। मैंने मनीषा की योनि में जैसे ही लंड को घुसाया तो वह खुश हो चुकी थी और मैं मनीषा की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को डाले जा रहा था। मैंने मनीषा की चूत के अंदर बाहर काफी देर तक अपने लंड को किया और जिस तरीके से मैं अपने लंड को मनीषा की चूत के अंदर बाहर लंड को कर रहा था उससे मुझे मजा आने लगा था। मनीषा की सिसकारियां बढ़ रही थी उसकी सिसकारियां इतनी ज्यादा बढ़ रही थी वह अपने आपको बिल्कुल भी रोक ना सकी। और मैं उसे तेजी से धक्के दिए जा रहा था। मेरे धक्को में तेजी आती जा रही थी और मनीषा की सिसकारियां बढ़ती जा रही थी।
मनीषा मुझसे अपनी चूतडो को टकरा रही थी और उसकी चूतड़ों का रंग लाल होता जा रहा था। जिस तरीके से मैं मनीषा को चोद रहा था उस से मेरी गर्मी को वह बढाए जा रहा था और मेरी गर्मी इतनी ज्यादा बढ़ गई। मनीषा की चूत मे मेरा लंड जा चुका था और मैं उसकी चूत मारकर बहुत खुश था। जब मैंने मनीषा की चूत में अपने माल को गिराया तो मैंने उसकी गर्मी को शांत कर दिया था। मनीषा और मैं झाड़ियों से बाहर आ चुके थे हम दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए थे। मनीषा जब मेरे साथ बैठी हुई थी तो वह कहने लगी मेरी चूत से खून निकलने लगा था मैं और मनीषा एक दूसरे के साथ सेक्स करता हूं। वह बहुत ज्यादा खुश थी और जिस तरीके से मैंने मनीषा की चूत की गर्मी को शांत किया था वह मेरे लिए बहुत ही अच्छा था और मनीषा भी बहुत खुश थी।