Antarvasna, hindi sex story: हमारी शादी को अभी एक साल ही बीता था लेकिन मेरी जिंदगी में जैसे सब कुछ बदलने लगा था मेरी पत्नी से मेरी बिल्कुल भी नहीं बनती थी और उसके साथ मेरा अक्सर झगड़ा होता रहता था वह मुझसे कहती कि तुम्हारे पास मेरे लिए समय ही नहीं होता है। उसे यह बात अच्छे से पता थी कि मेरे ऊपर घर की जिम्मेदारी है लेकिन उसके बावजूद भी मेरी पत्नी मुझे कभी समझ ही नहीं पाई इसलिए मैं उससे डिवोर्स लेना चाहता था। उसके भी सपने काफी बड़े थे वह चाहती थी कि वह किसी शहर में जा कर रहे। मेरे लिए उसके सपने पूरे कर पाना बहुत ही मुश्किल था हम लोग एक सामान्य से परिवार से हैं हम लोग बरेली में रहते हैं। मेरी जिंदगी में बदलाव उस वक्त आया जब मैं दिल्ली आया, मैं दिल्ली आया तो मेरे लिए सब कुछ नया था। दिल्ली की भागदौड़ भरी जिंदगी में मुझे एडजस्ट करने में बड़ी समस्या हो रही थी मेरे दोस्त ने हीं दिल्ली में मेरी नौकरी लगवाई थी।
बरेली में मेरी नौकरी छूट जाने के बाद उसने मुझे कहा कि तुम मेरे पास जल्दी आ जाओ और फिर मैं दिल्ली चला आया। दिल्ली आने के बाद उसने मेंरी नौकरी अपनी ही कंपनी में लगवा दी, मैं अपने परिवार से दूर था लेकिन मैं खुश था। मेरी पत्नी का मुझे फोन आता तो वह हमेशा कहती कि मैं आपके साथ दिल्ली आना चाहती हूँ लेकिन मेरी तनख्वा उस वक्त इतनी नहीं थी कि मैं उसे भी दिल्ली में अपने पास रख पाता। धीरे-धीरे मेरी तनख्वा बढ़ने लगी थी और समय के साथ सब कुछ ठीक होने लगा था मेरी पत्नी भी मेरे साथ दिल्ली में ही रहने लगी थी। हालांकि उसके मैं व्यवहार में अभी भी कोई बदलाव नहीं आया था उसका स्वभाव अभी भी वैसा ही था जैसा कि पहले था। मैंने अपनी मेहनत से अब दिल्ली में घर भी बना लिया मेरी जिंदगी में अब सब कुछ ठीक होने लगा था लेकिन फिर भी मेरी पत्नी को मुझसे अक्सर शिकायत रहती थी इसीलिए मैं उससे दूर होने लगा था। मुझे एक दिन अपने किसी जरूरी काम से जयपुर जाना था तो उस दिन मेरी पत्नी का जन्मदिन भी था जो कि मुझे याद नहीं रहा इस वजह से उसने मुझसे उस दिन झगड़ा कर लिया लेकिन मुझे तो सुबह जयपुर निकलना ही था मैं उसे मनाने की कोशिश करता रहा लेकिन वह तो इस बात को लेकर बैठ चुकी थी कि मुझे उसका जन्मदिन याद नहीं रहा।
जब मैं जयपुर से लौटा तो मैंने उसे उस दिन गिफ्ट दिया लेकिन वह बिल्कुल भी खुश नहीं थी वह कहने लगी कि मैं कुछ दिनों के लिए बरेली अपनी मां के पास जा रही हूं और तुम मेरा टिकट करवा देना। मैंने भी उसका टिकट करवा दिया और वह दिल्ली से बरेली चली गई जब वह बरेली गई तो उसके बाद मैं अपने काम पर पूरी तरीके से ध्यान देने लगा था वह अभी भी वहां से लौटे नहीं थी। मेरे माता-पिता भी बरेली में ही रहते हैं मैंने उन्हें कई बार कहा कि आप लोग मेरे पास रहने के लिए आ जाइए लेकिन वह लोग मेरे पास रहने के लिए कभी आए ही नहीं। मेरी पत्नी का व्यवहार मेरे माता पिता के साथ बिल्कुल भी ठीक नहीं था इसलिए वह लोग बरेली में ही रहते थे। मुझे भी काफी दिनों से अपने माता-पिता की याद आ रही थी तो मैंने सोचा कि उनसे मिलने के लिए मैं कुछ दिनों के लिए बरेली चला जाता हूँ। मैंने अपने ऑफिस से कुछ दिनों की छुट्टी ले ली मेरी पत्नी अभी भी अपने मायके में ही थी तो मैंने सोचा कि उसे भी मैं अपने साथ लेता हुआ आऊंगा। मैं जब घर पहुंचा तो मेरे माता-पिता मुझे देखकर बहुत खुश थे और वह लोग कहने लगे कि सुधीर बेटा तुम कितने दिनों बाद घर आ रहे हो। मैंने उनसे कहा कि मैंने आप लोगों को कितनी बार कहा है कि आप लोग मेरे साथ ही दिल्ली में रहिये लेकिन आप लोगो को तो बरेली में ही रहना अच्छा लगता है। वह कहने लगे कि बेटा अब हमें यहीं पर रहना अच्छा लगता है हमारे सारे रिश्तेदार और सारे परिचित यहीं बरेली में रहते हैं तो हम लोग दिल्ली आकर क्या करेंगे, दिल्ली की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम लोगो को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा हम लोग यहीं खुश हैं। मैंने पापा से कहा कि आप एक बार कोशिश तो कीजिए कुछ दिनों के लिए आप मेरे साथ रहने के लिए आ जाएंगे तो वह कहने लगे ठीक है हम लोग इस बारे में सोचेंगे लेकिन तुम यह बताओ कि तुम कितने दिनों के लिए घर आए हो। मैंने उन्हें कहा कि मैं तो अपने ऑफिस से पन्द्रह दिनों तक की छुट्टी लेकर घर आया हूँ तो मेरी मां कहने लगी कि बेटा क्या तुम्हारे साथ बहू नहीं आई।
मैंने मां को कहा कि मां वह अपने मायके गई हुई है मैं उसे कल ले आऊंगा। मैंने यह बात अपनी पत्नी को अभी तक बताई नहीं थी कि मैं भी बरेली आ चुका हूं और जब अगले दिन मैंने उसे फोन किया तो वह मुझे कहने लगी कि आपने मुझे इस बारे में क्यों नहीं बताया कि आप बरेली आ रहे हैं। मैंने अपनी पत्नी से कहा कि मुझे अपने माता-पिता से मिलना था तो सोचा कि मैं कुछ दिनों की छुट्टी ले लेता हूं मेरी पत्नी मुझे कहने लगी कि आपको अगर अपने माता-पिता से मिलना था तो आप मेरे साथ ही आ जाते। मैंने उसे कहा मैं तुम्हें आज लेने के लिए आ रहा हूं वह मुझे कहने लगी कि आज मैं घर पर नही हूं मैंने अपनी पत्नी से कहा ठीक है मैं तुम्हें लेने के लिए कल आ जाऊंगा। वह कहने लगी कि ठीक है आप मुझे लेने के लिए कल आ जाइएगा। अगले दिन में अपनी पत्नी को लेने के लिए घर से निकला तो मैंने देखा सामने गरिमा थी। गरिमा मुझे काफी वर्षों बाद मिल रही थी वह मेरे पड़ोस में रहती है लेकिन मुझे यह बात पता नहीं थी कि उसके पति से अलग होने के बाद वह अलग रहने लगी थी वह अपने माता-पिता के साथ रहने लगी थी।
मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी जब गरिमा ने मुझे देखा तो उसने मुझसे बात कर ली। हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे वह मुझे पूछने लगी आजकल तुम कहां हो तो मैंने उसे बताया मैं तो दिल्ली में रहता हूं। मुझे जब गरिमा ने अपने बारे में बताया तो मुझे यह सुनकर बड़ा ही बुरा लगा मैंने गरिमा को कहा मेरा रिलेशन मेरी पत्नी के साथ बिल्कुल ठीक नहीं है वह मेरी तरफ देखकर कहने लगी तुम्हारी पत्नी तो काफी अच्छी है। मैंने उसे कहा हो सकता है कि तुम्हे वह अच्छी लगती हो लेकिन उसका व्यवहार मेरे प्रति बिल्कुल भी ठीक नहीं है और ना ही मेरे माता पिता को वह अच्छा मानती है। गरिमा ने मुझे कहा सुधीर हम लोग शाम के वक्त मिलते हैं मैंने उसको कहा ठीक है। मैं उस दिन अपनी पत्नी को घर ले आया था उस दिन शाम के वक्त मैंने उसे कहा चलो कहीं चलते हैं हम लोग हमारे घर के पास ही थे, फिर हम लोग पानी पुरी वाला के यहा चले गए। हम लोग पानी पुरी खाने लगे गरिमा ने मेरा हाथ पकड़ लिया मैंने भी गरिमा का हाथ कसकर पकड़ लिया था। वह मेरे बहुत ही ज्यादा करीब आ गई उस दिन जब हम दोनों की सेक्स को लेकर रजामंदी बनी तो उसने मुझे अपने घर पर रात को आने के लिए कहा, मैं रात के वक्त गरिमा के घर पर चला गया। गरिमा अपने कमरे में अकेली ही थी मैं अपने छत के रास्ते गरीबों के घर पर गया। वह मेरा इंतजार कर रही थी जब हम दोनों एक साथ बैठे हुए थे तो मैंने गरिमा के हाथों को पकड़कर उसकी जांघों को सहलाना शुरु किया। जब मैंने उसकी जांघो को सहलाना शुरू किया तो उसको बहुत ही ज्यादा खुश हो गई। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है मेरे अंदर की आग अब बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। मैंने उसके होठों को तब तक चूसा जब तक उसके अंदर की आग पूरे तरीके से बाहर नहीं आ गई उसे बड़ा अच्छा लगने लगा था और मुझे भी बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने गरिमा के कपड़े उतारकर उसको नंगा कर दिया। मै उसे देखकर उत्तेजित हो गया जब वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर उसे चूसने लगी तो उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था और मुझे भी बड़ा मजा आने लगा था। वह मेरे लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे कि मेरा माल बाहर निकाल देगी।
उसने मेरा माल को बाहर निकाल लिया वह अब मेरे लंड को बड़े ही अच्छे तरीके से चूस रही थी उसके बाद मैंने उसके स्तनों का बड़े अच्छे से रसपान किया मै जब उसके स्तनों के बीच मे अपने लंड को करने लगा तो मेरे लंड से पानी बाहर निकल रहा था। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया उसकी सिसकारियां बढने लगी थी उसकी मादक आवाज मुझे उत्तेजित कर रही थी मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने उसकी चूत को बहुत देर तक चाटा उसकी चूत से पानी बाहर की तरफ को निकाल रहा था। मैंने जैसे ही उसकी चूत मे अपने लंड को प्रवेश करवाया तो वह बड़ी तेज आवाज में चिल्लाई और कहने लगी मेरी चूत में दर्द हो रहा है। मैंने उसे कहा तुम अपने पैरों को खोल लो उसने अपने पैरों को खोल लिया मैं उसे बड़ी ही तेजी से धक्के मारने लगा। मैं उसको इतनी तेजी से धक्के मार रहा था उस से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था और उसकी सिसकारिया मे लगातार बढ़ोतरी होती जा रही थी।
मेरे अंदर की आग इतनी अधिक हो चुकी थी कि मैं बिल्कुल भी रह ना सकी मैंने जैसे ही अपने वीर्य को उसकी चूत मे गिराया तो वह खुश हो गई उसके बाद उसने मेरे लंड को दोबारा से चूसना शुरु किया और मेरे लंड को चूसने के बाद उसने खड़ा कर दिया। मैंने अब उसकी चूतड़ों को अपने अपनी तरफ किया और उसे डॉगी स्टाइल पोजीशन में चोदना शुरू कर दिया। डॉगीस्टाइल पोजीशन में मुझे उसे चोदकर बड़ा अच्छा लग रहा था वह मुझसे अपनी चूतडो को मिलाए जा रही थी उसकी चूतडो का रंग लाल होने लगा था और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। हम दोनों ने जमकर सेक्स का मजा लिया जब मैंने अपने माल को उसकी चूतड़ों पर गिराया तो वह खुश हो गई उस रात मुझे बड़ा ही अच्छा लगा जब गरिमा को मैने चोदा।