Antarvasna, hindi sex story: कॉलेज का मेरा दूसरा दिन था और जब मैं कॉलेज पहुंचा तो उस वक्त काफी ज्यादा बारिश हो रही थी मैं लाइब्रेरी के बाहर खड़ा हो गया क्योंकि बारिश काफी ज्यादा तेज थी इसलिए वहां से मेरे क्लासरूम तक जाना थोड़ा मुश्किल था मैं वहीं खड़ा था। मुझे वहां पर का काफी समय हो चुका था लेकिन बारिश अभी भी कम नहीं हुई थी मैं बारिश रुकने का इंतजार कर रहा था कि तभी आगे से एक लड़की दौड़ते हुए आई। वह बारिश में पूरी तरीके से भीग चुकी थी वह अपने बालों को सुलझाने की कोशिश कर रही थी मैंने जब उसकी तरफ देखा तो मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैं उसे कई वर्षों से जानता हूं मेरे दिल की धड़कन तेज होने लगी और मुझे उसे देखकर काफी अच्छा लग रहा था। मैंने भी सोचा कि क्यों ना मैं उससे बात कर लूं फिर मैंने उससे हाथ मिलाते हुए अपना नाम बताया मैंने उससे पूछा कि क्या तुम यहीं पड़ती हो तो उसने मुझे बताया कि हां मैं इसी क्लास में पढ़ती हूँ, उसका यह पहला दिन था और उसका नाम रवीना है।
रवीना ने मुझसे पूछा कि क्या तुम अहमदाबाद के रहने वाले हो तो मैंने उसे बताया कि हां मैं अहमदाबाद का ही रहने वाला हूं मैंने रवीना से काफी देर तक बात की हम दोनों के लिए वह बारिश जैसे बहुत ही अच्छी थी। रवीना से मेरी बातचीत होने लगी थी और पहली ही मुलाकात मेरी और रवीना की बहुत अच्छी रही। बारिश भी अब कम हो चुकी थी और हम दोनों क्लास की तरफ चले गए जब हम दोनों क्लास की तरफ गए तो उस वक्त क्लास में कोई भी नहीं था क्योंकि मैं काफी जल्दी आ गया था। कुछ देर हम दोनों साथ में बैठे रहे फिर थोड़ी देर बाद प्रोफ़ेसर भी आ गए तब तक सारे बच्चे क्लास में आ चुके थे जब क्लास खत्म हुई तो मैं चाहता था कि मैं रवीना से बात करूं। उस दिन जब हम लोग घर जा रहे थे तो मैंने रवीना से बात की रवीना से जब भी मैं बात करता तो मुझे बहुत अच्छा लगता। हम दोनों एक दूसरे से काफी बातें करने लगे थे रवीना और मेरे बीच अच्छी दोस्ती हो चुकी थी हम लोग फोन पर भी एक दूसरे से बात करते रहते थे। एक दिन रवीना ने मुझे बताया कि वह लोग इस छुट्टी में अपने मामा जी के घर जा रहे हैं हम लोगों की कॉलेज की छुट्टियां पढ़ने वाली थी।
मैंने रवीना को कहा कि अब हम लोगों की छुट्टी खत्म हो जाने के बाद ही मुलाकात होगी तो वह मुझे कहने लगी कि हां रितेश हम लोग मामा जी के घर अभी कुछ समय तक तो रुकने वाले हैं। कॉलेज की छुट्टियां पड़ चुकी थी और मैं घर में अकेले बोर हो रहा था मेरी ना तो रवीना से बात हो सकती थी और ना ही मैं कॉलेज जा सकता था इसलिए मैं अकेला काफी ज्यादा बोर हो गया था। मुझे लग रहा था कि मुझे भी छुट्टियों में कहीं जाना चाहिए था लेकिन पापा के पास तो समय होता ही नहीं है पापा अपने कामों से फ्री होते ही नहीं है इसलिए हम लोग कई वर्षों से कहीं घूमने भी नहीं गए हैं। मैं अपने रूम में बैठा हुआ था कि तभी मेरी मां मेरे पास आई और कहने लगी कि रितेश बेटा तुम अकेले रूम में बैठकर क्या कर रहे हो तुम बाहर हमारे साथ क्यों नहीं बैठते मैंने मां से कहा नहीं मां मैं ठीक हूं। मां कहने लगी कि चलो बेटा तुम हमारे साथ हॉल में बैठ जाओ तुम्हारे दादा जी और दादी जी भी वहीं बैठे हुए हैं। मैं भी अब हॉल में चला गया जब मैं हॉल में गया तो दादी मुझे कहने लगी कि रितेश आजकल तुम बहुत अकेले रहते हो और किसी से भी बात नहीं करते। मैंने दादी से कहा दादी ऐसी बात नहीं है बस घर में अकेले बोर हो जाता हूं इसलिए मैं अपने रूम में ही बैठा रहता हूं। मैं दादी और मम्मी के साथ बात कर रहा था दादा जी ज्यादा बात नहीं करते हैं वह चुपचाप हमारी बातें सुन रहे थे शाम हो चुकी थी तो मैंने अपनी मां से कहा कि मम्मी मैं घूमने के लिए जा रहा हूं। मां कहने लगी कि रितेश बेटा तुम अकेले कहां घूमने जाओगे तो मैंने मां से कहा मां बस ऐसे ही कॉलोनी के पार्क तक हो आता हूं। मैं अब घर से चला गया मैं कॉलोनी के पार्क में बैठा हुआ था थोड़ी देर वहां बैठने के बाद मैं वापस घर लौट आया मैं जब वापस घर लौटा तो उस वक्त पापा भी घर पर आ चुके थे। थोड़े दिनों बाद कॉलेज भी खुलने वाला था और जब कॉलेज खुला तो उस दिन मैं रवीना को देख रहा था लेकिन रवीना उस दिन आई नहीं थी मेरा मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था। रवीना से काफी दिनों से मेरी बात भी नहीं हो पाई थी और मुझे काफी अकेला महसूस हो रहा था उसके कुछ दिनों बाद रवीना कॉलेज आने लगी।
जब वह कॉलेज आई तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा और मैं रवीना के साथ ज्यादा से ज्यादा बात करने की कोशिश करता हमारे एग्जाम भी नजदीक आने वाले थे तो रवीना मुझे कहने लगी कि रितेश मुझे मदद चाहिए थी तो मैंने उसकी मदद की। मैंने उससे कहा कि तुम मेरे घर पर ही पढ़ने के लिए आ जाया करो तो वह मेरे घर पर ही पढ़ने के लिए आ जाया करती थी। मैं रवीना को पसंद करने लगा था और मां भी रवीना को बहुत पसंद करती थी मां कहती थी कि रवीना कितनी प्यारी लड़की है। हम दोनों के एग्जाम बहुत अच्छे से हो रहे थे और एग्जाम भी अब खत्म होने वाले थे एग्जाम खत्म हो जाने के बाद रवीना घर पर आती ही रहती थी। रवीना मां को बहुत पसंद करती थी और कहती थी कि तुम्हारी मम्मी बहुत अच्छी है। एक दिन मम्मी घर पर नहीं थी उस दिन रवीना घर पर आई हुई थी रवीना और मैं साथ में बैठे हुए थे। हम दोनों साथ में बैठ कर बात कर रहे थे तो मेरी नजर रवीना के स्तनों पर पड़ रही थी। रवीना के बूब्स उसके सूट से बाहर की तरफ को झांक रहे थे। मैं जब उसके स्तनों को देख रहा था तो मेरा मन बहुत ही ज्यादा उत्तेजित होने लगा।
मै अपने लंड पर हाथ लगाने लगा रवीना बार बार मेरी तरफ देख रही थी रवीना कुछ समझ नहीं पा रही थी लेकिन जब वह खड़ी ऊठी तो मैंने उसे कसकर पकड़ लिया। जब मैंने उसे पकड़ा तो मेरा लंड उसकी गांड से टकरा रहा था वह भी बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो रही थी। हम दोनों के अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ने लगी मेरे गर्मी इस कदर बढ़ चुकी थी कि मैं चाहता था मेरे लंड को वह अपने मुंह के अंदर ले ले। मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो वह उसे काफी देर तक देखती रही। जब उसने अपने हाथों मे लंड लिया उसने मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर हिलाना शुरू किया तो मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा महसूस हो रहा था और मैं बहुत ज्यादा खुश था। मैंने रवीना से कहा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है तुम ऐसे ही मेरे लंड को हिलाती रहो। वह अपने आपको बिल्कुल ना रोक सकी उसने मेरे मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर लेकर चूसना शुरू किया जब वह ऐसा कर रही थी तो मेरे अंदर की गर्मी लगातार बढ़ती जा रही थी और मैं बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गया था। मैंने रवीना से कहा तुम मेरे लंड को अपने गले के अंदर लो। उसने अपने गले के अंदर तक लंड ले लिया वह पहले तो मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर अच्छे से नहीं ले रही थी लेकिन जब मैंने उससे कहा कि तुम लंड को अंदर तक लो तो उसने अपने गले के अंदर तक मेरे लंड को लेना शुरू किया। अब रवीना उत्तेजित हो चुकी थी वह बिस्तर पर लेट गई उसने अपने कपड़े उतार दिए। मैंने जब उसके नंगे बदन को देखा तो मैं उसे चोदने के लिए बहुत ही ज्यादा उतावला हो गया। मैंने उसकी पैंटी को नीचे उतारा और उसकी चूत की तरफ देखा तो उसकी चूत गुलाबी रंग की थी। मैंने जब उस पर अपनी उंगली से स्पर्श किया तो वह मचलने लगी। मैंने उसकी चूत पर लंड सटाकर अंदर की तरफ डालने की कोशिश की तो हम दोनों के लिए ही यह पहला मौका था। उस वक्त मुझे रवीना के बदन को महसूस करना अच्छा लग रहा था।
मैंने रवीना की चूत के अंदर तक अपने लंड को डाल दिया जब उसकी चूत के अंदर मेरा लंड घुसा तो वह चिल्लाई और उसकी चूत से खून की पिचकारी बाहर निकाल आई थी। मैंने रवीना की सील तोड़ दी थी जिससे कि रवीना बहुत ही ज्यादा खुश हो गई थी। वह मुझे अपनी बाहों में समाना चाहती थी मैं उसे कसकर अपनी बाहों मे ले रहा था और उसे बड़ी तेज गति से मै धक्के दिए जा रहा था जिस प्रकार से मैं उसे चोद रहा था उससे उसकी सिसकियो मे लगातार बढ़ोतरी हो रही थी और उसकी चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा बढने लगा। मैंने उसे कहा मेरी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी है। मैं उसके बूब्स को अपने मुंह में लेकर चूसता और उसे तेजी से धक्के मारता।
मैं जिस प्रकार से उसके बूब्स को चूसता तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और उसके बूब्स से मैंने खून भी निकाल कर रख दिया था। मैंने जब उसके पैरो को खोलकर उसकी चूतडो पर प्रहार किया तो उसे बहुत अच्छा लगता। उसकी चूत से काफी ज्यादा खून निकल रहा है लेकिन मैने उसकी गर्मी को पूरी तरीके से शांत कर दिया था। मैं इस बात से बहुत ज्यादा खुश था कि रवीना के साथ मे सेक्स कर पाया हालांकि मैंने कभी इस बारे में सोचा नहीं था लेकिन उसके साथ सेक्स करके मै बहुत ज्यादा खुश था। मेरा माल गिरने वाला था मैंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए हिलाना शुरू किया मेरा वीर्य बड़ी तेजी से बाहर की तरफ को निकला। मेरा वीर्य बाहर की तरफ निकला तो मैं बहुत ही ज्यादा खुश हो गया था और मैंने रवीना से कहा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है जिस तरह से आज तुमने मेरी इच्छा को परा किया है रवीना ने मुझे गले लगा लिया। अब मैंने उसे कपड़ा दिया तो उसने अपनी चूत को साफ किया।