Antarvasna, hindi sex story: अपने पति महेश के साथ झगड़ों से तंग आकर एक दिन मैंने महेश से बात करने का फैसला किया महेश को मैंने कहा महेश देखो हमारी शादी को एक वर्ष हो चुका है और मैंने अपनी तरफ से तुम्हारे लिए कभी कोई कमी नहीं की परंतु ना जाने तुम्हारे अंदर इतना परिवर्तन क्यों आ गया है। महेश मुझे कहने लगे कि देखो सुनैना मैंने तुमसे कभी भी किसी बात को लेकर नहीं कहा परंतु अब मुझे भी लग रहा है कि शायद हम दोनों एक दूसरे के साथ रिश्ते को आगे बढ़ा नहीं पाएंगे। मैंने महेश से इसका कारण पूछा और कहा क्या हम लोग अपने रिश्ते को सुधार नहीं सकते तो महेश मुझे कहने लगे कि देखो सुनैना मुझे नहीं लगता कि हम लोग अपने रिश्ते को सुधार सकते हैं। मुझे नहीं पता था कि महेश दूसरी लड़की से शादी करना चाहते हैं महेश ने यह बड़ी आसानी से कहा और मेरे लिए तो जैसे यह सब एक बड़ा ही तकलीफ दिया फैसला था।
महेश ने बड़ी आसानी से यह बात कह दी महेश के साथ मैं पिछले एक साल से रह रही हूं लेकिन उसके बावजूद भी हम लोगों के बीच कभी प्यार नहीं था और महेश ने मुझे कभी समझा ही नहीं। मुझे इस बात से बहुत तकलीफ हुई और मैंने सोचा कि महेश को मेरे साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था लेकिन अब मैं भी महेश से अलग रहने लगी। महेश को इस बात का कोई फर्क नहीं था और महेश अपने जीवन में आगे बढ़ चुके थे और मैं अभी भी वहीं पर खड़ी महेश का इंतजार कर रही थी। मैं इसी आस में थी कि कभी महेश का मुझे फोन आएगा और महेश मुझे कहेंगे कि सुनैना तुम मेरी जिंदगी में वापस लौट आओ लेकिन ऐसा कभी हो नहीं पाया। करीब 6 महीने बाद मुझे भी लगने लगा कि अब मुझे अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहिए और मुझे भी कुछ करना चाहिए मैंने शादी के बाद अपने सपनों का गला घोट दिया था लेकिन अब मैं अपने सपनों को पूरा करना चाहती थी। सबसे पहले तो मैंने नौकरी करने का फैसला किया और कुछ समय तक मैंने नौकरी कि मैं एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती थी वहां पर मैं लोगों से मिली और मुझे उन लोगों से बात करना अच्छा लगा। मेरे साथ जितने भी टीचर थे वह सब बड़े ही अच्छे और मेरी मदद करने के लिए हमेशा आगे रहते हैं मैंने कभी सोचा नहीं था कि शादी का रिश्ता खत्म होने के बाद मैं अपने जीवन में इतनी तरक्की कर पाऊंगी।
मैंने अपनी मेहनत से अपना एक बिजनेस शुरू किया और उस बिजनेस में मैंने बहुत तरक्की की सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि मुझे कुछ पता ही नहीं चला कि कब समय बीत गया। अब इस बात को दो वर्ष हो चुके थे और महेश से अलग होने के बाद मेरी जिंदगी में अकेलापन मुझे खलने लगा था मुझे किसी न किसी की तो जरूरत थी जो कि मुझे समझ सकता। मैंने एक दिन अपनी सहेली माधुरी को फोन किया काफी समय बाद मैंने माधुरी को फोन किया था तो माधुरी मुझे कहने लगी कि सुनैना तुम कहां हो आज तुम इतने सालों बाद मुझे फोन कर रही हो तुमने अपना नंबर भी चेंज कर लिया था और जब तुम्हारे मम्मी पापा से मैंने तुम्हारे बारे में पूछा तो उन्होंने भी मुझे कहा कि हमें सुनैना के बारे में कुछ नहीं पता आखिर तुम्हारे साथ ऐसा क्या हुआ। मैंने माधुरी को कहा माधुरी यदि तुम मुझसे मिलना चाहती हो तो तुम मुंबई आ जाओ माधुरी कहने लगी कि मैं इस वक्त मुंबई तो नहीं आ सकती मैंने माधुरी को कहा माधुरी मुझे बहुत अकेलापन महसूस हो रहा है। माधुरी मेरी बचपन की अच्छी सहेली है और वह मुझसे मिलने के लिए मुंबई आ गई जब माधुरी मुंबई आई। मैंने माधुरी को कहा मेरे और महेश के रिश्ते कुछ अच्छे नहीं चल रहे थे और महेश को किसी और ही लड़की से प्यार था इसलिए महेश ने मुझे डिवोर्स देने के बारे में सोच लिया था मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि महेश मुझे इतनी जल्दी डिवोर्स देने के बारे में सोच सकते हैं लेकिन महेश ने मुझे डिवोर्स देने का फैसला कर लिया था और मैं अपनी शादी के टूट जाने से बहुत दुखी थी इसलिए मैं पुणे से मुंबई आ गई। मैंने जब यह बात माधुरी को बताई तो माधुरी मुझे कहने लगी कि सुनैना कम से कम तुम्हें अपने मम्मी पापा को तो इस बारे में बताना चाहिए था। मैंने माधुरी को कहा माधुरी मैं मम्मी पापा को तो बताना चाहती थी लेकिन मुझे लगा कि शायद अब मुझे अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी है इसलिए मैंने फिलहाल किसी से भी कोई संपर्क नहीं रखा परंतु अब मुझे बहुत अकेलापन महसूस होने लगा है इसलिए मैं अब सोचने लगी हूं कि मुझे क्या करना चाहिए तभी मुझे तुम्हारा ख्याल आया और मैंने तुम्हें फोन कर दिया। माधुरी मुझे कहने लगी कि देखो सुनैना यदि तुम्हें ऐसा लग रहा है तो तुम्हें शादी के बारे में सोच लेना चाहिए मैंने माधुरी को कहा तुम्हें तो पता ही है ना कि मेरी शादी ज्यादा समय तक चल नहीं पाई और अब मुझे लगता नहीं है कि मैं दोबारा से शादी के बारे में सोचने वाली हूं।
माधुरी मुझे कहने लगी कि सुनैना तुम्हें आगे बढ़ने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही होगा मैंने माधुरी को कहा माधुरी मैं भी कई बार ऐसा ही सोचती हूं लेकिन फिलहाल तो मुझे तुमसे मिलकर अच्छा लगा और इतने समय बाद तुमसे मुलाकात हो रही है तो मुझे बहुत खुशी है कि कम से कम तुम तो मेरे साथ खड़ी हो। माधुरी मुझे कहने लगी कि सुनैना मैं हमेशा ही तुम्हारे साथ खड़ी हूं माधुरी ने मुझे कहा कि लेकिन तुमने बहुत तरक्की कर ली है। मैंने उसे कहा बस यह सब मेरे जुनून और मेहनत का नतीजा है महेश से शादी टूट जाने के बाद मैंने सोच लिया था कि मैं अब अपनी जिंदगी में अपने सपनों को पूरा करूंगी। मुझे माधुरी कहने लगी कि तुमने बहुत अच्छा किया कम से कम अपने सपनों को तो तुम पूरा कर पा रही हो माधुरी मुझे कहने लगी कि सुनैना मुझे आज वापस लौटना पड़ेगा मैंने माधुरी को कहा यदि तुम आज मेरे पास ही रुक जाती तो मुझे भी अच्छा लगता।
माधुरी कहने लगी कि सुनैना मैं तुम्हारे पास रुक तो जाती लेकिन मेरे पति मुझसे कई सवाल करेंगे इसलिए मुझे लगता है कि अभी मुझे निकलना चाहिए मैंने भी माधुरी को रोका नहीं और माधुरी पुणे चली गई। मैं अपने काम में बहुत तरक्की कर चुकी थी लेकिन मेरे जीवन में अकेलापन मुझे काटने को दौड़ता और मैं अपने मम्मी पापा के साथ भी अब नहीं रहना चाहती थी क्योंकि मुझे लगता था कि यदि मैं उनके साथ रहूंगी तो कहीं वह मुझ पर बंदिशें ना लगा दे इसलिए मैं उनसे दूर मुंबई में रहने लगी थी। मुझे अब अकेले रहने की आदत होने लगी थी लेकिन मुझे भी माधुरी की बात पर अब अमल करना था कि माधुरी ने बिल्कुल ठीक कहा मुझे भी किसी ना किसी के साथ अब दोबारा अपने रिश्ते को आगे तो बढ़ाना ही था लेकिन फिलहाल तो मैं अपने काम पर पूरा ध्यान दे रही थी और अपने काम के प्रति मैं बहुत ज्यादा सीरियस थी। मुझे नहीं मालूम था एक दिन एक सेमिनार के दौरान मेरी मुलाकात दीपक से हो जाएगी जब मेरी मुलाकात दीपक से हुई तो दीपक से मिलकर मुझे अच्छा लगा और दीपक के साथ कुछ ही समय में मेरी दोस्ती भी हो गई। हम लोग एक दूसरे को समझने लगे थे और मैंने दीपक को अपने बारे में सब कुछ बता दिया था। मैं नहीं चाहती थी कि दीपक से मैं कुछ भी छुपांऊ हालांकि दीपक से मेरी अभी सिर्फ दोस्ती थी लेकिन यह दोस्ती जल्द ही अब एक नया रूप लेने वाली थी। जब मुझसे मिलने के लिए दीपक मेरे घर पर आया तो पहली बार मे ही हम दोनों के बीच जो चुंबन हुआ उस से हम दोनों के अंदर गर्मी पैदा हुए और उसके बाद तो यह सिलसिला लगातार चलता रहा क्योंकि मैं अकेली रहती थी मैं अब दीपक के लिए तड़पने लगी थी।
दीपक को मैं अपनी नंगी तस्वीर भेज कर अपनी ओर आकर्षित करती और दीपक जब मेरे पास आया तो उसने मेरे कपड़ों को उतारा और मेरे होठों को बहुत देर तक चूसा मेरा तन बदन अब दीपक का हो चुका था। मैंने अपने कपड़ों को उतारा तो दीपक ने मेरी चूत को चाटना शुरु किया कुछ देर तक उसने मेरे स्तनों का रसपान किया मेरे स्तनों से उसने दूध बाहर निकाल दिया था मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी जैसे ही उसने अपने लंड को मेरी चूत के अंदर प्रवेश करवाया तो मेरी चूत से पानी बाहर निकलने लगा। मेरी चूत से जो गर्म पानी बाहर निकल रहा था उससे वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था और मुझे उसने बहुत तेजी से धक्के देने शुरू किए दीपक का 10 इंच मोटा लंड मेरी चूत के अंदर तक जा रहा था और मेरी चूत की दिवार तक उसका लंड जा रहा था। मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी दीपक ने मेरे दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखा अब उसने मुझे तेजी से धक्के देने शुरू कर दिए दीपक के धक्के इतनी तेज होते कि मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पाई मेरे मुंह से मादक आवाज निकल रही थी। दीपक ने मुझे घोडी बनाया घोड़ी बना कर उसने मेरी चूत के अंदर अपने लंड को डालकर अंदर बाहर किया तो मेरी चूत से गर्म पानी निकला।
दीपक उसे झेल ना सका और दीपक का वीर्य पतन हो गया कुछ देर बाद जब दीपक ने अपने लंड को खड़ा करते हुए मेरी गांड में डाला तो मैं चिल्ला उठी उसका लंड मेरी गांड के अंदर बाहर होता मैं बिल्कुल भी अपने आपको रोक ना सकी। दीपक के साथ मुझे मजा आ रहा था दीपक ने मेरी गांड से खून भी बाहर निकाल दिया था मेरे गांड की खुजली को उसने पूरी तरीके से मिटा दिया था। मेरा अकेलापन दीपक ने दूर कर दिया दीपक का वीर्य मेरी गांड में प्रवेश हो चुका था जब भी मुझे दीपक की जरूरत पड़ती तो दीपक मुझसे मिलने के लिए आ जाया करता। मै दीपक को अपना सबकुछ मान चुकी थी दीपक जब भी मुझसे मिलने आता तो वह खुश हो जाता था। दीपक हमेशा मेरी गांड मारने के लिए तैयार रहता था जब भी वह मेरी गांड मारने के लिए कहता तो मै खुश हो जाती मेरी गांड मार कर वह बहुत खुश हो जाता था और मुझे कहता सुनैना जब भी मैं तुम्हारी गांड मारता हूं तो मुझे आनंद आ जाता है।