Antarvasna, kamukta: एक दिन सुबह के वक्त मैं अपने घर से निकला उस वक्त यही कोई 9:00 बज रहे थे उस दिन मुझे अपने एक दोस्त से मिलने के लिए जाना था मुझे उससे कुछ जरूरी काम भी था। सुबह के 9:00 बजे मैं घर से निकला तो रास्ते में ही मेरी गाड़ी स्लिप हो गई और मेरा एक्सीडेंट हो गया जिस वजह से मुझे थोड़ी बहुत चोट भी आ गई थी उसके बाद मुझे अस्पताल जाना पड़ा। मैं हॉस्पिटल चला गया और वहां पर मैंने अपने पैर पर लगी चोट पर मरहम पट्टी करवाई और उसके बाद मैंने घर वापस लौटना हीं बेहतर समझा। मैं घर वापस लौटा तो मैंने यह बात किसी को भी नहीं बताई थी क्योंकि अगर मैं इस बारे में घर में किसी को बताता तो शायद सब लोग परेशान हो जाते इसलिए मैंने यह बात किसी को भी नहीं बताई थी। मैं जब घर पहुंचा तो मैंने अपने रूम में आराम करना ही बेहतर समझा और मैं अपने रूम में चला गया मैं रूम में लेटा हुआ था कि मेरी मां मेरे रूम में आई और कहने लगी कि बेटा तुम जल्दी आ गए। मैंने मां से कहा कि हां मां मेरा काम हो गया था इसलिए मैं घर जल्दी लौट आया लेकिन अभी भी मैंने अपनी छोट के बारे में किसी को बताया नहीं था ताकि कोई मुझे लेकर ज्यादा चिंतित ना हो इसलिए मैंने किसी को भी इस बारे में कुछ बताया नहीं था।
दो-तीन दिन बाद मेरे पैर की चोट भी ठीक होने लगी थी उसके बाद मैं अपने दोस्त मुकेश के पास चला गया मुकेश से मिले हुए मुझे काफी दिन हो गए थे उससे मैं मिला नहीं था। मैं जब उससे मिलने के लिए उसके घर पर गया तो मुकेश ने मुझे बताया कि उसकी बहन की सगाई हो चुकी है। मैंने मुकेश को उसकी बहन की सगाई के लिए बधाई दी और कहा कि तुम्हारी बहन की तो सगाई हो चुकी है लेकिन अब तुम लोग उसकी शादी कब करवाने वाले हो। वह मुझे कहने लगा कि क्या रोहन तुम तो जानते ही हो कि मेरी नौकरी भी कुछ समय पहले छूट चुकी है और पापा का काम भी कुछ अच्छे से नहीं चल रहा है इसलिए मेरी बहन की शादी के लिए कुछ पैसों की भी तो जरूरत होगी। मैंने मुकेश को कहा कि तुम उसकी चिंता क्यों करते हो तुम्हें जितने पैसे चाहिए मैं तुम्हें पैसे दे दूंगा।
मुकेश को यह बात अच्छे से पता है कि मेरे पिताजी एक बड़े कारोबारी है और मैं उसकी मदद कर सकता था मुकेश की मदद मैंने इसलिए भी कि क्योंकि वह मेरा काफी पुराना दोस्त है। मुकेश मुझे कहने लगा कि रोहन अगर तुम मेरी मदद कर दो तो मुझ पर तुम्हारा बड़ा उपकार रहेगा मैंने मुकेश को कहा कि तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो तुम्हें जब भी पैसों की जरूरत होगी जो तुम मुझे बता देना मैं तुम्हारी मदद कर दूंगा। उसके बाद मैं अपने घर वापस लौट आया थोड़े दिनों बाद ही मुकेश का मुझे फोन आया और उसने मुझसे पैसों को लेकर मदद मांगी तो मैंने उसे पैसे दे दिए। मुकेश को मैं पैसे दे चुका था मैंने मुकेश कि पैसे से मदद की इसलिए वह भी अपनी बहन की शादी अब जल्द से जल्द करवाना चाहता था। कुछ ही समय बाद मुकेश की बहन की शादी भी हो गई मुकेश ने अपनी बहन की शादी बड़े धूमधाम से करवाई। मुकेश चाहता था कि वह मेरे पैसे लौटा दे और मुकेश धीरे धीरे कर के मेरे पैसे भी लौटाने लगा क्योंकि मुकेश कि जॉब भी लग चुकी थी वह कुछ ही समय में मेरे पैसे मुझे लौटा चुका था। एक दिन मैं और मुकेश घर पर बैठे हुए थे तो उस दिन मुकेश मुझसे कहने लगा कि रोहन मैं सोच रहा हूं कि मैं भी अब शादी कर लूं। मैंने मुकेश को कहा लेकिन तुमने अचानक से यह मन कैसे बना लिया तो मुकेश ने मुझे पूरी बात बताई और कहने लगा कि मेरी बहन कि शादी में ही मुझे एक लड़की मिली थी और उससे मेरी काफी अच्छी बातचीत होने लगी थी मुझे नहीं पता था कि वह मेरी बहन की सहेली है और जब मुझे इस बारे में पता चला तो मैंने उससे बात करनी भी काफी कम कर दी थी लेकिन वह भी चाहती थी कि वह मुझसे बात करें और अब हम दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते हैं। मैंने मुकेश को कहा कि क्या वह लड़की तुमसे शादी करने के लिए तैयार है तो वह मुझे कहने लगा कि हां वह मुझसे शादी करने के लिए तैयार है। मैं और मुकेश एक दूसरे से काफी नजदीक है इसलिए मैं और मुकेश एक दूसरे से हर एक बात शेयर किया करते हैं। मुकेश ने मुझे उसके बारे में बताया तो मैंने मुकेश को कहा कि अगर तुम उससे शादी करना चाहते हो तो तुम उससे शादी कर लो।
मुकेश ने मुझे मीनाक्षी से मिलवाया जब मुकेश ने मुझे पहली बार मीनाक्षी से मिलवाया तो मुझे भी लगा की मुकेश को मीनाक्षी से शादी कर लेनी चाहिए क्योंकि उन दोनों के बीच काफी अच्छी बातचीत थी और वह दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार भी करते हैं। उन दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया और जल्द ही उन दोनों की शादी हो गई उन दोनों की शादी शुदा जिंदगी बड़े ही अच्छे से चल रही थी। मुकेश उसके बाद भी मुझे मिला करता लेकिन मुकेश मुझे कहने लगा की अब तुम्हे भी शादी कर लेनी चाहिए। मैंने मुकेश को कहा कि हां मैं भी कई बार यही सोचता हूं कि मुझे भी शादी कर लेनी चाहिए लेकिन तुम तो जानते ही हो कि यह सब इतना भी आसान नहीं है क्योकि मुझे अभी तक ऐसी कोई लड़की मिली ही नहीं है जिसे देखकर मुझे लगे कि मुझे शादी कर लेनी चाहिए। मुकेश मुझे कहने लगा कि अगर तुम कहो तो मैं तुम्हारे लिए कोई लड़की देखूं मैंने मुकेश को कहा नहीं मुकेश रहने दो। मुकेश की जिंदगी तो बड़े ही अच्छे से चल रही थी और मैंने भी अपने पापा के बिजनेस को पूरी तरीके से सम्भालना शुरू कर दिया था। पापा का बिजनेस मैं अच्छे से संभालने लगा था तो पापा भी इस बात से बड़े खुश थे कि मैं उनका बिजनेस संभाल रहा हूं।
एक दिन पापा और मैं साथ में ऑफिस जा रहे थे उस दिन जब हम लोग ऑफिस जा रहे थे तो पापा मुझे कहने लगे कि बेटा आज मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही है मुझे लग रहा है मुझे घर जल्दी चले जाना चाहिए। मैंने पापा से कहा कि पापा आप घर चले जाइये। उस दिन पापा घर जल्दी चले गए थे मैं ऑफिस में था और जब शाम के 8:00 बजे मैं घर पहुंचा तो पापा मुझे कहने लगे कि बेटा तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं हुई मैंने पापा को कहा नहीं पापा। मैं पापा का काम पूरी तरीके से संभालने लगा था इसलिए पापा भी इस बात से बड़े खुश थे। एक दिन ऑफिस में एक लड़की आई हुई थी। वह किसी अच्छी कंपनी में मैनेजर के पद पर थी लेकिन उसकी शादी अभी तक नहीं हुई थी उसका नाम सुहानी है सुहानी चाहती थी मै उसे एक घर दिलवाऊ। मैंने सुहानी को कहा आप बिल्कुल निश्चिंत रहें। मै सुहानी को एक घर दिलवा चुका था जिसके बाद वह मुझसे मिला करती। सुहानी और मेरे बीच अच्छी दोस्ती होने लगी थी उस दिन हम लोग फोन पर बात कर रहे थे मैंने सुहानी को पूछा तुमने अभी तक शादी क्यों नहीं की? सुहानी मुझे कहने लगी आज तक मुझे कभी कोई लड़का पसंद ही नहीं आया और सुहानी बड़ी ही बोल्ड और बिंदास है तो उसने खुलकर मुझसे बातें की उसने कहा उसके रिलेशन दो-तीन बार चले लेकिन उसके रिलेशन जल्दी टूट गए इसलिए उसने रिलेशन से अलग होना ही बेहतर समझा। मैंने सुहानी से बात करनी शुरू कर दी थी तो सुहानी भी मुझसे अपनी हर एक बात शेयर करने लगी थी। सुहानी मुझसे अपनी हर एक बातें शेयर किया करती सुहानी और मेरे बीच काफी अच्छी दोस्ती हो गई थी।
सुहानी ने एक दिन मुझे अपने फ्लैट पर बुलाया उसने जब मुझे अपने फ्लैट पर बुलाया तो मैं उस दिन सुहानी से मिलने के लिए उसके फ्लैट पर चला गया। उस दिन हम दोनों ने शराब पी सुहानी ने मुझे बताया आज उसका जन्मदिन है वह काफी अकेला महसूस कर रही थी। मैंने सुहानी को कहा सुहानी क्या तुमने अपने दोस्तों को नहीं बुलाया तो सुहानी कहने लगी नहीं। जब सुहानी और मैं एक दूसरे से बात कर रहे थे तो सुहानी ने मेरा हाथ को पकड़ लिया और उसे काफी अकेला महसूस हो रहा था इसलिए अब मैंने भी उसके हाथों को पकड़ लिया और धीरे धीरे मेरा हाथ उसके स्तनों की तरफ बढ़ने लगा। मैंने उसके स्तनों को दबा दिया था मैंने उसके स्तनों को दबाया तो मुझे उसके स्तनों को दबाने मे अच्छा लग रहा था। सुहानी कहने लगी उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी थी मैंने उसे नीचे लेटाकर किस करना शुरू कर दिया सुहानी के नरम होंठों को चूस कर मुझे मजा आ रहा था।
मैने उसकी गर्मी को दोगुना कर दिया था उसकी चूत से निकलता हुआ पानी अधिक होने लगा था। उसने अपने कपड़े उतार दिए जब उसने अपने कपड़े उतारे तो मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था। मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत को चाटना चाहता हूं तो वह मुझे कहने लगी अब तुम्हें जो भी लगता है तुम वह कर लो मुझसे तो रहा नहीं जा रहा है। मैंने उसकी चूत को चाटकर उसे गर्म कर दिया था उसकी गर्मी अब इतनी बढ़ गई थी कि वह मेरे लंड को लेने के लिए उतावली हो गई। मैंने अपने लंड को उसकी योनि के अंदर घुसा दिया और मेरा लंड उसकी चूत में जाते ही वह बहुत जोर से चिल्लाने लगी उसके बाद मैं उसे इतनी तेज गति से चोदने लगा कि हम दोनों ही एक दूसरे को उत्तेजित करते जा रहे थे। हम दोनों की उत्तेजना बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी मैंने सुहानी की चूत के मजे बहुत देर तक लिए सुहानी बड़ी खुश थी। मैं जिस प्रकार से उसे चोद रहा था उससे वह मेरा साथ बड़े अच्छे से दे रही थी। सुहानी को बड़ा ही अच्छा लगा उसके बाद सुहानी और मैं एक दूसरे के गले लग कर एक दूसरे के साथ ही लेटे हुए थे।