Antarvasna, hindi sex kahani: मैं एक छोटे शहर का रहने वाला एक सामान्य परिवार का लड़का हूं लेकिन मैं अपनी मेहनत की बदौलत अपने जीवन में कुछ करना चाहता था इसके लिए मैंने अपने पिताजी से कहा कि पिताजी मैं दिल्ली जाना चाहता हूं लेकिन पिताजी ने मुझे मना कर दिया और कहा कि बेटा तुम यहीं रह कर कोई काम करो। घर में मैं एकलौता था इस वजह से पिताजी चाहते थे कि मैं अपने ही शहर में रहकर कोई काम करूं लेकिन मेरा मन दिल्ली जाने का था। मैं चाहता था कि दिल्ली जाकर मैं कुछ करूं जिससे कि मैं अपने आप को सिद्ध कर पाऊं लेकिन यह सब इतना आसान नहीं होने वाला था मैं कुछ करके दिखाना चाहता था। आखिरकार मैंने दिल्ली जाने का फैसला कर लिया मेरे पिताजी इस पक्ष में बिल्कुल भी नहीं थे उन्होंने मुझे बहुत डांटा और कहा कि बेटा तुम यहीं रह कर कुछ काम कर लो हम कैसे तुम्हारे बिना रह पाएंगे और हमें तुम्हारी चिंता भी सताती रहेगी। मैंने पिताजी को कहा पिताजी कुछ तो मुझे करना ही पड़ेगा मैं ऐसी जिंदगी अब नहीं जी सकता।
मैं अपने सपनों को पूरा करने के लिए दिल्ली चले गया जब मैं दिल्ली पहुंचा तो मेरे लिए सब कुछ नया था मेरे सामने कई चुनौतियां थी मुझे पहले तो अपने लिए रहने के लिए घर देखना था। सबसे पहले मैंने अपने रहने के लिए घर देखा और उसके बाद मैं अपने लिए नौकरी तलाशने लगा मैं चाहता था कि कुछ समय तक मैं नौकरी कर लूं ताकि मैं आगे कुछ कर सकूँ इसके लिए मैंने एक कंपनी में इंटरव्यू दिया और वहां पर मेरा सिलेक्शन भी हो गया। हालांकि वहां पर तनख्वाह काफी कम थी लेकिन मेरे लिए वह काफी थी क्योंकि मैं अकेला अपना खर्चा चलाना चाहता था और मैं नहीं चाहता था कि मैं किसी के ऊपर निर्भर रहूँ। मैं अब नौकरी करने लगा नौकरी करते हुए मुझे करीब 6 महीने हो चुके थे 6 महीने में वही सुबह काम पर जाओ और शाम को घर लौटो बस यही जिंदगी थी। मैं बहुत ज्यादा परेशान हो चुका था मुझे 6 महीने हो चुके थे परंतु अभी तक मैं अपनी जिंदगी में ऐसा कुछ कर नहीं पाया था मेरे सपने बहुत बड़े थे।
मेरे पिताजी से जब मेरी फोन पर बात होती तो वह कहते कि बेटा तुम घर लौट आओ लेकिन मैं घर लौटना नहीं चाहता था मैं कुछ कर के दिखाना चाहता था और मेरे अंदर वही जुनून था लेकिन फिलहाल तो मुझे कुछ होता हुआ नजर नहीं आ रहा था। मेरे कुछ दोस्त भी बन चुके थे उनसे जब भी मैं बात करता तो हमेशा मैं इस बारे में बात करता की मैं अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता हूं लेकिन मुझे फिलहाल तो कुछ समझ नहीं आ रहा था और ना ही मुझे कोई रास्ता नजर आ रहा था मुझे तो यही लग रहा था कि कहीं मैं जॉब तक ही सीमित ना रह जाऊं। मैं जॉब से आगे बढ़कर भी देखना चाहता था एक दिन मैं पैदल ही अपने घर के लिए लौट रहा था मैं जब अपने रूम पर लौट रहा था तो मैंने देखा एक बड़ी सी गाड़ी खड़ी थी और फोन करते हुए एक सज्जन गाड़ी से बाहर निकले, वह फोन पर बात कर रहे थे कि तभी पीछे से दो मोटरसाइकिल युवक सवार बड़ी तेजी से आये और उन्होंने उनका फोन छीन लिया। मैंने यह सब घटना अपनी आंखों के सामने देखी तो मैं उन लड़कों के पीछे भागा और मैंने किसी प्रकार से फोन को उन लड़कों के हाथों से छीन लिया और वह लड़के वहां से पता नहीं कहां भागे उनका कुछ पता ही नहीं चल पाया। मैंने उन्हें उनका फोन लौटाया तो वह मुझे कहने लगे कि बेटा तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद जो तुमने उन बदमाशो से मेरा फोन वापस ले लिया। उन्होंने मुझे कहा कि बेटा तुम करते क्या हो तो मैंने उन्हें कहा अंकल मैं फिलहाल तो एक कंपनी में नौकरी कर रहा हूं उन्होंने मुझे कहा बेटा यह मेरा विजिटिंग कार्ड है जब भी तुम्हें मेरी जरूरत पड़े तो तुम मुझे कहना। मैंने उन्हें कहा जी जब भी मुझे आपकी जरूरत पड़ेगी तो मैं आपको जरूर फोन करूंगा। अब वह वहां से जा चुके थे मैंने जब उनके विजिटिंग कार्ड पर उनका नंबर और उनकी कंपनी का नाम देखा तो मुझे पता नहीं था कि उनकी कंपनी इतनी बड़ी होगी लेकिन मुझे लगने लगा था कि शायद मेरी किस्मत बदलने वाली है और उसके लिए मैं पूरी मेहनत करने को तैयार था। मैंने एक दिन उन अंकल को फोन किया और उन्होंने मुझे अपने ऑफिस में मिलने के लिए बुलाया जब मैं उनके पास गया तो मैंने उन्हें बताया कि मैं अपने कुछ सपने लेकर दिल्ली आया था लेकिन अभी तक मुझे कुछ ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा।
वह मुझे कहने लगे कि बेटा अपने सपनों को पूरा करने के लिए तुम्हें मेहनत करनी होगी और तुम्हें एक सही रास्ते की भी जरूरत है। मैंने उन्हें कहा अंकल मैं मेहनत करने के लिए तैयार हूं जब मैंने उन्हें यह बात कही तो उन्होंने मुझे कहा यदि तुम मेहनत करने के लिए तैयार हो तो तुम हमारी कंपनी में नौकरी कर सकते हो। उन्होंने मुझे अपनी कंपनी में रख लिया मेरी तनख्वाह भी काफी अच्छी थी और मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि इतनी जल्दी मेरी किस्मत बदल जाएगी मैं तो इसी हताशा में जी रहा था कि शायद मैं उसी कंपनी में नौकरी कर के अपना गुजर बसर ना करता रहूं लेकिन मेंरी एक अच्छी कंपनी में नौकरी लग चुकी थी। अंकल के घर पर मेरा अक्सर आना-जाना था वह मुझे अपने परिवार के सदस्य की तरह ही मानने लगे थे उनका बिजनेस काफी बड़ा है और कई देशों में फैला हुआ है इसलिए वह मुझ पर भरोसा कर के मुझे अपने साथ लेकर जाते हैं। मैं उनके साथ काफी कुछ चीजें सीखने लगा था अब मेरे भी सपने उन्हीं की तरह बड़े होने लगे थे मैं अपने सपनों को साकार करने के लिए जी जान से मेहनत कर रहा था। मेरे सपने अब मुझे साकार होते हुए नजर आ रहे थे मैं किसी भी सूरत में अपने सपनों को पाने के लिए पूरी मेहनत करने को तैयार था।
मुझे नहीं मालूम था सुबोध अंकल की पत्नी बड़ी ही चरित्रहीन महिला है उनके ना जाने कितने पुरुष साथी हैं जिनके साथ उनके नाजायज संबंध है। यह बात मुझे जब पता चली तो मैं उनसे दूर ही रहने लगा एक दिन मुझे सुबोध अंकल ने अपने घर पर भेजा जब उन्होंने मुझे अपने घर भेजा तो मैंने देखा उनकी पत्नी एक गैर मर्द के साथ नग्न अवस्था में थी। सुबोध अंकल की पहली पत्नी का देहांत हो गया था उन्होंने दूसरी शादी की इसलिए उनकी पत्नी की उम्र ज्यादा नहीं थी उनकी उम्र यही कोई 35 वर्ष के आसपास की होगी। जब उनके बदन को मैंने देखा तो मेरी जवानी भी फूटने लगी मैं चाहता था कि मैं शीला आंटी के साथ सेक्स का आनंद लूं उन्हें भी अब इस बात का पता चल चुका था मैंने सब देख लिया है इसलिए वह मुझ पर डोरे डालने लगा मैं तो चाहता ही था उनके साथ में शारीरिक संबंध बनांऊ। एक दिन उन्होंने मुझे घर पर बुलाया हम दोनों ही घर पर थे वह मुझे अपने बेडरूम में आने के लिए कहने लगी। जब वह मुझे अपने बेडरूम में ले गई तो उन्होंने मुझे कहा दिनेश यहां बैठ जाओ मैं अब उनके बेड पर बैठा हुआ था। वह मेरे पास आकर बैठी और अपने चूतड़ों को मुझसे मिलाने लगी उनकी चूतडे मुझसे टकराती तो मेरा लंड भी खड़ा हो जाता। उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखा और अपने स्तनों को उन्होंने मुझे दिखाना शुरू किया तो मैं अपने आपको रोक नहीं पाया मेरा लंड हिलोरे मारने लगा था। जब उन्होंने मेरे लंड को मेरी पैंट से बाहर निकाल कर अपने हाथों में लिया तो उनके कोमल हाथ मेरे लंड पर लगते ही मेरा लंड हिलोरे मारने लगा कुछ देर उन्होंने अपने हाथ से मेरे लंड को ऊपर नीचे करने के बाद अपने मुंह के अंदर मेरे लंड को ले लिया। जैसे ही मेरा लंड उनके मुंह के अंदर गया तो वह बड़ी अच्छी तरीके से मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर कर रही थी उन्हें बहुत अच्छा लगता है और मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था उन्होंने मेरे लंड को चूस कर पूरी तरीके से गिला कर दिया था मेरा लंड भी अब पानी बाहर की तरफ को छोड़ने लगा था।
उन्होंने अपने पैरों को खोलते हुए मेरे सामने अपनी चूत को किया मैंने उनकी चूत पर अपनी उंगली को लगाया तो वह मचलने लगी। मैने उनकी चूत के अंदर अपनी उंगली को को डाला तो वह पूरी तरीके से मजे मे थी। मैंने उनकी चूत पर जीभ को लगाया तो उनकी कोमल चूत पूरी तरीके से गीली हो चुकी थी वह अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पाई। मैंने जैसे ही अपने लंड को उनकी चूत के अंदर प्रवेश करवाया तो वह चिल्ला उठी मेरा लंड उनकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था वह मुझे कहती दिनेश तुम्हारा बहुत मोटा लंड है। मैंने उन्हें कहा आपकी चूत भी बडी टाइट है मुझे धक्के मारने में बड़ा मजा आता वह पूरी तरीके से मेरा साथ दे रही थी। मैंने उनके दोनों पैरों को अपने कंधे पर रखा और तेज गति से उन्हें धक्के देने लगा मैं उन्हें धक्का मार रहा था उनकी चूत से लगातार पानी बाहर की तरफ को निकलने लगता।
मैं पूरी तरीके से खुश हो चुका था जिस प्रकार से मैंने उन्हें धक्के दिए उससे उनको मजा आने लगा। मैंने उन्हें उल्टा लेटाया और उनकी गांड की तरफ देखा तो उनकी गांड मारने का मेरा मन होने लगा। मैंने उनकी गांड के अंदर अपनी उंगली को डाला तो वह चिल्लाई लेकिन मैंने अपने लंड को उनकी गांड के अंदर घुसाया तो वह चिल्लाने लगी। उनकी गांड से खून निकलने लगा मेरा लंड भी तरीके से छिलकर बेहाल हो चुका था वह मादक आवाज में मुझे अपनी और आकर्षित करती उनको मैं बड़ी तेजी से धक्के मारता। जिस प्रकार से मैंने उन्हें धक्के मारे उस से उनकी गांड का बुरा हाल हो चुका था उनकी गांड से खून आने लगा था उन्होंने मेरा पूरा साथ दिया और मुझे कहा आज मुझे आपके साथ शारीरिक संबंध बनाने में बहुत मजा आया। वह बहुत ज्यादा खुश थी उन्होंने जिस प्रकार से मेरा साथ दिया उस से मैं भी खुश हो गया। उन्होंने मेरी उसके बाद हर एक जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी ले ली। जब भी मुझे पैसो की जररूत होती तो वह मेरी मदद करती और मुझे वह हमेशा घर बुलाती थी।